मुद्रा अस्थिरता कैलकुलेटर
अस्थिरता एक शब्द है जो समय के साथ व्यापार मूल्य में भिन्नता को संदर्भित करता है। मूल्य भिन्नता का दायरा जितना अधिक होगा, उतनी ही अस्थिरता मानी जाएगी। उदाहरण के लिए, 5, 20, 13, 7, और 17 की क्रमिक बंद होने वाली कीमतों वाली सुरक्षा 7, 9, 6, 8, और 10 की क्रमिक बंद होने वाली कीमतों के साथ समान सुरक्षा की तुलना में अधिक अस्थिर है। उच्च अस्थिरता वाले प्रतिभूतियां हैं मूल्यवान मूवमेंट के रूप में माना जाता है - चाहे ऊपर या नीचे - समान, लेकिन कम अस्थिर, प्रतिभूतियों की तुलना में बड़ा होने की उम्मीद है। एक जोड़ी की अस्थिरता को इसके रिटर्न के मानक विचलन की गणना करके मापा जाता है। मानक विचलन एक माप है कि औसत मूल्य (माध्य) से कितने व्यापक मूल्य फैलते हैं।
ट्रेडर के लिए वोलैटिलिटी का महत्व
प्रत्येक ट्रेडर के लिए सुरक्षा की अस्थिरता के बारे में जागरूक होना महत्वपूर्ण है, क्योंकि अस्थिरता के विभिन्न स्तर कुछ रणनीतियों और मनोविज्ञान के लिए बेहतर हैं। उदाहरण के लिए, एक विदेशी मुद्रा ट्रेडर बहुत अधिक जोखिम लेने के बिना अपनी पूंजी को तेजी से बढ़ाना चाहता है, उसे कम अस्थिरता वाली मुद्रा जोड़ी चुनने की सलाह दी जाएगी। दूसरी तरफ, जोखिम लेने वाले ट्रेडर अस्थिर जोड़ी की पेशकश के बड़े मूल्य अंतर पर कैश करने के लिए उच्च अस्थिरता वाली मुद्रा जोड़ी की तलाश करेंगे। हमारे उपकरण से डेटा के साथ, आप यह निर्धारित करने में सक्षम होंगे कि कौन से जोड़े सबसे अस्थिर हैं; आप यह भी देख सकते हैं कि विशिष्ट जोड़े के लिए सप्ताह के सबसे कम से कम - अस्थिर दिन और घंटे कौन से हैं, इस प्रकार आप अपनी व्यापार रणनीति को अनुकूलित कर सकते हैं।
करेंसी जोड़े की वोलैटिलिटीा को क्या प्रभावित करता है?
आर्थिक और/या बाजार से संबंधित घटनाएं, जैसे किसी देश की ब्याज दर में परिवर्तन या कमोडिटी कीमतों में गिरावट, अक्सर FX अस्थिरता का स्रोत होता है। अस्थिरता की डिग्री युग्मित मुद्राओं और उनकी अर्थव्यवस्थाओं के विभिन्न पहलुओं से उत्पन्न होती है। करेंसी की एक जोड़ी - एक ऐसी अर्थव्यवस्था से जो मुख्य रूप से कमोडिटी-निर्भर है, दूसरी सेवाएं-आधारित अर्थव्यवस्था - प्रत्येक देश के आर्थिक चालकों में अंतर्निहित मतभेदों के कारण अधिक अस्थिर हो जाती है। इसके अतिरिक्त, अलग-अलग ब्याज दर के स्तर से समान ब्याज दरों वाले अर्थव्यवस्थाओं के जोड़ों की तुलना में मुद्रा जोड़ी अधिक अस्थिर हो जाएगी। अंत में, क्रॉस (जोड़े जो यूएस डॉलर शामिल नहीं करते हैं) और 'विदेशी' क्रॉस (जोड़े जो गैर-प्रमुख मुद्रा शामिल करते हैं), भी अधिक अस्थिर होते हैं और बड़े पूछने / बोली फैलाने के लिए होते हैं। अस्थिरता के अतिरिक्त चालकों में मुद्रास्फीति, सरकारी ऋण और चालू खाता घाटे शामिल हैं; जिस देश की मुद्रा खेल में है, उसकी राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता भी FX अस्थिरता को प्रभावित करेगी। साथ ही, केंद्रीय बैंक द्वारा नियंत्रित मुद्राएं - जैसे बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टो करेंसी - अधिक स्वाभाविक होंगी क्योंकि वे स्वाभाविक रूप से परिवर्तनशील हैं।
मुद्रा अस्थिरता कैलकुलेटर का उपयोग कैसे करें?
पेज के शीर्ष पर, उन सप्ताहों की संख्या चुनें जिन पर आप जोड़े वोलैटिलिटी की गणना करना चाहते हैं। ध्यान दें कि लंबे समय तक चुना गया समय, कम अस्थिर अवधि की तुलना में वोलैटिलिटी को कम करता है। डेटा प्रदर्शित होने के बाद, सप्ताह की दिन अपनी औसत दैनिक वोलैटिलिटी, इसकी औसत प्रति घंटा वोलैटिलिटी और जोड़ी की वोलैटिलिटी का टूटना देखने के लिए एक जोड़ी पर क्लिक करें।
मुद्रा अस्थिरता कैलकुलेटर विभिन्न टाइम फ्रेम में प्रमुख तथा एक्सोटिक जोड़ों के लिए एतिहासिक वोलैटिलिटी की गणना करता है। गणना चुने गए टाइम फ्रेम के अनुसार, दैनिक पिप तथा प्रतिशत बदलाव पर आधारित होती है। आप सप्ताह की संख्या डाल कर टाइम फ्रेम को परिभाषित कर सकते हैं। एक व्यक्तिगत करेंसी जोड़े पर क्लिक करके, आप उसके समरूपी घंटो के वोलैटिलिटी चार्ट्स को देखने के साथ-साथ आपके द्वारा चुने गए टाइम फ्रेम पर, प्रति सप्ताहांत उसके औसत वोलैटिलिटी दिखने वाले चार्ट्स को भी देख सकते हैं।
विदेशी मुद्रा भंडार क्या है? | Foreign Exchange Reserves – UPSC Notes
देश के विदेशी मुद्रा भंडार में एक बार फिर से गिरावट हुई है.
विदेशी मुद्रा भंडार क्या होता है?
विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश के केंद्रीय बैंक में रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां होती हैं, ताकि आवश्यकता पड़ने पर वह अपनी देनदारियों का भुगतान कर सकें। विदेशी मुद्रा भंडार को एक या एक से अधिक मुद्राओं में रखा जाता है। अधिकांशत: डॉलर और बहुत बा यूरो में विदेशी मुद्रा भंडार रखा जाता है। कुल मिलाकर विदेशी मुद्रा भंडार में केवल विदेशी बैंक नोट, विदेशी बैंक जमा, विदेशी ट्रेजरी बिल और अल्पकालिक और दीर्घकालिक विदेशी सरकारी प्रतिभूतियां सम्मिलित होनी चाहिए। हालांकि, सोने के भंडार, विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर), और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास जमा राशि भी विदेशी मुद्रा भंडार का हिस्सा होता हैं।
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में शामिल हैं –
- विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ (FCA)
- स्वर्ण भंडार
- विशेष आहरण अधिकार (SDR)
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ रिज़र्व ट्रेंच
FCA
- FCA ऐसी संपत्तियाँ हैं जिनका मूल्यांकन देश की स्वयं की मुद्रा के अतिरिक्त किसी अन्य मुद्रा के आधार पर किया जाता है.
- FCA विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक है। इसे डॉलर के रूप में व्यक्त किया जाता है।
- FCA में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्रा की कीमतों में उतार-चढ़ाव या मूल्यह्रास का असर पड़ता है।
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विदेशी मुद्रा भंडार का अर्थव्यवस्था के लिए महत्व
- विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी सरकार और RBI को आर्थिक विकास में गिरावट के कारण पैदा हुए किसी भी बाहरी या अंदरुनी वित्तीय संकट से निपटने में सहायता करती है.
- यह आर्थिक मोर्चे पर संकट के समय देश को आरामदायक स्थिति उपलब्ध कराती है।
- वर्तमान विदेशी भंडार देश के आयात बिल को एक वर्ष तक संभालने के लिए पर्याप्त है।
- विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी से रुपए को डॉलर के मुकाबले स्थिति दृढ़ करने में सहायता मिलती है।
- वर्तमान समय में विदेशी मुद्रा भंडार सकल घरेलू उत्पाद (GDP) अनुपात लगभग 15% है।
- विदेशी मुद्रा भंडार आर्थिक संकट के बाजार को यह भरोसा देता है कि देश बाहरी और घरेलू समस्याओं से निपटने में सक्षम है।
विदेशी मुद्रा भंडार का प्रबंधन कौन करता है?
- आरबीआई विदेशी मुद्रा भंडार के कस्टोडियन और मैनेजर के रूप में कार्य करता है। यह कार्य सरकार से साथ मिलकर तैयार किए गए पॉलिसी फ्रेमवर्क के अनुसार होता है।
- आरबीआई रुपए की स्थिति को सही रखने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का प्रयोग करता है। जब रुपया कमजोर होता है तो आरबीआई डॉलर की बिक्री करता है। जब रुपया मजबूत होता है तब डॉलर की खरीदारी की जाती है। कई बार आरबीआई विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने के लिए बाजार से डॉलर की खरीदारी भी करता है।
- जब आरबीआई डॉलर में बढ़ोतरी करता है तो उतनी राशि के बराबर रुपया निर्गत करता है। इस अतिरिक्त तरलता (liquidity) को आरबीआई बॉन्ड, सिक्योरिटी और एलएएफ ऑपरेशन के माध्यम से प्रबंधन करता है।
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भास्कर एक्सप्लेनर: जीडीपी में गिरावट के बावजूद विदेशी मुद्रा भंडार अब तक के उच्चतम स्तर पर, क्या है इसकी वजह और यह देश के लिए कितना फायदेमंद?
देश का विदेशी मुद्रा भंडार अगस्त के आखिरी हफ्ते में 541.43 बिलियन डॉलर (39.77 लाख करोड़ रुपए) पर पहुंच गया है। एक सप्ताह में इसमें 3.88 बिलियन डॉलर (28.49 हजार करोड़ रुपए) की बढ़ोतरी हुई है। इससे पहले 21 अगस्त को समाप्त हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 537.548 बिलियन डॉलर (39.49 लाख करोड़ रुपए) था। जून में पहली बार विदेशी मुद्रा भंडार 500 बिलियन डॉलर के आंकड़े को पार करते हुए 501.7 बिलियन डॉलर (36.85 लाख करोड़ रुपए) पर पहुंचा था। 2014 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 304.22 बिलियन डॉलर (22.34 लाख करोड़ रुपए) था। इस समय पड़ोसी देश अर्थव्यवस्था में विदेशी मुद्रा बाजार का महत्व चीन का विदेशी मुद्रा भंडार 3.165 ट्रिलियन डॉलर के करीब है।
इसलिए बढ़ रहा है विदेशी मुद्रा भंडार
- आर्थिक मंदी के बावजूद विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने का सबसे बड़ा कारण भारतीय शेयर बाजारों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बढ़ना है।
- बीते कुछ महीनों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने कई भारतीय कंपनियों में हिस्सेदारी बढ़ाई है।
- मार्च में भारत के डेट और इक्विटी सेगमेंट से एफपीआई ने करीब 1.20 लाख करोड़ रुपए की निकासी की थी, लेकिन इस साल के अंत तक अर्थव्यवस्था के वापस पुरानी स्थिति में लौटने की उम्मीद के कारण एफपीआई भारतीय बाजारों में वापस आ गए हैं।
- इसके अलावा क्रूड की कीमतों में गिरावट के कारण देश का आयात बिल कम हुआ है। इससे विदेशी मुद्रा भंडार का बोझ घटा है। इसी तरह से विदेशों से रुपया भेजने और विदेश यात्राओं में कमी आई है। इससे भी अर्थव्यवस्था में विदेशी मुद्रा बाजार का महत्व विदेशी मुद्रा भंडार पर बोझ कम हुआ है।
- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 20 सितंबर 2019 को कॉरपोरेट टैक्स की दरों में कटौती की घोषणा की थी। इसके बाद से विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
जीडीपी में गिरावट के बावजूद विदेशी मुद्रा भंडार का बढ़ना अच्छा संकेत
कोरोनावायरस महामारी के कारण वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्था में उदासी का माहौल है। इस कारण चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून तिमाही) में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 23.9 फीसदी की गिरावट आई है। मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों और व्यापार में स्थिरता के कारण यह गिरावट आई है। ऐसे में विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक अच्छा अर्थव्यवस्था में विदेशी मुद्रा बाजार का महत्व संकेत है।
आज 1991 के विपरीत स्थिति
विदेशी मुद्रा भंडार की आज की यह स्थिति 1991 के बिलकुल विपरीत है। तब भारत ने प्रमुख वित्तीय संकट से बाहर निकलने के लिए गोल्ड रिजर्व को गिरवी रख दिया था। मार्च 1991 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार केवल 5.8 बिलियन डॉलर (42.59 हजार करोड़ रुपए) था। लेकिन आज विदेशी मुद्रा भंडार के दम पर देश किसी भी आर्थिक संकट का सामना कर सकता है।
विदेशी मुद्रा भंडार के प्रमुख असेट्स
- फॉरेन करेंसी असेट्स (एफसीए)।
- गोल्ड रिजर्व।
- स्पेशल ड्रॉइंग राइट्स (एसडीआर)।
- इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (आईएमएफ) के साथ देश की रिजर्व स्थिति।
विदेशी मुद्रा भंडार का अर्थव्यवस्था के लिए महत्व
- विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी सरकार और आरबीआई को आर्थिक ग्रोथ में गिरावट के कारण पैदा हुए किसी भी बाहरी या अंदरुनी वित्तीय संकट से निपटने में मदद करती है।
- यह आर्थिक मोर्चे पर संकट के समय देश को आरामदायक स्थिति उपलब्ध कराती है।
- मौजूदा विदेशी भंडार देश के आयात बिल को एक साल तक संभालने के लिए काफी है।
- विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी से रुपए को डॉलर के मुकाबले स्थिति मजबूत करने में मदद मिलती है।
- मौजूदा समय में विदेशी मुद्रा भंडार जीडीपी अनुपात करीब 15 फीसदी है।
- विदेशी मुद्रा भंडार आर्थिक संकट के बाजार को यह भरोसा देता है कि देश बाहरी और घरेलू समस्याओं से निपटने में सक्षम है।
आरबीआई करता है विदेशी मुद्रा भंडार का प्रबंधन
- आरबीआई विदेशी मुद्रा भंडार के कस्टोडियन और मैनेजर के रूप में कार्य करता है। यह कार्य सरकार से साथ मिलकर तैयार किए गए पॉलिसी फ्रेमवर्क के अनुसार होता है।
- आरबीआई रुपए की स्थिति को सही रखने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल करता है। जब रुपया कमजोर होता है तो आरबीआई डॉलर की बिक्री करता है। जब रुपया मजबूत होता है तब डॉलर की खरीदारी की जाती है। कई बार आरबीआई विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने के लिए बाजार से डॉलर की खरीदारी भी करता है।
- जब आरबीआई डॉलर में बढ़ोतरी करता है तो उतनी राशि के बराबर रुपया जारी करता है। इस अतिरिक्त लिक्विडिटी को आरबीआई बॉन्ड, सिक्योरिटी और एलएएफ ऑपरेशन के जरिए मैनेज करता है।
कहां रखा होता है विदेशी मुद्रा भंडार
- आरबीआई एक्ट 1934 विदेशी मुद्रा भंडार को रखने का कानूनी ढांचा प्रदान करता है।
- देश का 64 फीसदी विदेशी मुद्रा भंडार विदेशों में ट्रेजरी बिल आदि के रूप में होता है। यह मुख्य रूप से अमेरिका में रखा होता है।
- आरबीआई के डाटा के मुताबिक, मौजूदा समय में 28 फीसदी विदेशी मुद्रा भंडार दूसरे देशों के केंद्रीय बैंक और 7.4 फीसदी कमर्शियल बैंक में रखा है।
- मार्च 2020 में विदेशी मुद्रा भंडार में 653.01 टन सोना था। इसमें से 360.71 टन सोना विदेश में बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स की सुरक्षित निगरानी में रखा है। बचा हुआ सोना देश में ही रखा है।
- डॉलर की वैल्यू में विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी सितंबर 2019 के 6.14 फीसदी से बढ़कर मार्च 2020 में 6.40 फीसदी पर पहुंच गई है।
2014 में 300 बिलियन डॉलर के करीब था विदेशी मुद्रा भंडार
आरबीआई के डाटा के मुताबिक, वित्त वर्ष 2014 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 304.22 बिलियन डॉलर (22.34 लाख करोड़ रुपए) था। इसी साल नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने थे। तब से लगातार विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी हो रही थी। 2018 में यह बढ़कर 424.5 बिलियन डॉलर (31.13 लाख करोड़ रुपए) पर पहुंच गया था। हालांकि, इसके अगले साल यानी 2019 में यह थोड़ा घटकर 412.87 बिलियन डॉलर (30.26 लाख करोड़ रुपए) पर पहुंच गया था। 28 अगस्त को समाप्त हुए सप्ताह में यह बढ़कर 541.4 बिलियन डॉलर (39.अर्थव्यवस्था में विदेशी मुद्रा बाजार का महत्व 77 लाख करोड़ रुपए) पर पहुंच गया है।
चीन का विदेशी मुद्रा भंडार भारत से 484% ज्यादा
पड़ोसी देश चीन का विदेशी मुद्रा भंडार भारत के मुकाबले कहीं ज्यादा है। अगस्त 2020 में चीन का विदेशी मुद्रा भंडार 3.165 ट्रिलियन डॉलर था। वहीं, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 541.4 बिलियन डॉलर है। इस प्रकार चीन का विदेशी मुद्रा भंडार भारत के मुकाबले 484 फीसदी ज्यादा है। 2014 में चीन का विदेशी मुद्रा भंडार 4 ट्रिलियन डॉलर के करीब पहुंच गया था। हालांकि, तब से अब अर्थव्यवस्था में विदेशी मुद्रा बाजार का महत्व तक इसमें गिरावट आ रही है।
इस साल 19.33 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंचा क्रूड
इस साल 1 जनवरी को अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड की कीमत 66 डॉलर प्रति बैरल थी। इसी सप्ताह 6 जनवरी को कीमतें बढ़कर 68.91 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थीं। इसके बाद से क्रूड की कीमतें लगातार कम हो रही है। इस बीच मार्च के अंत में कोरोनावायरस महामारी पूरी दुनिया फैल गई। इससे क्रूड की मांग घट गई थी। इसका नतीजा यह हुआ कि क्रूड की कीमत घटकर 19.33 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई। इस प्रकार क्रूड की कीमतों में इस साल अपने उच्चतम स्तर से 71 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई है। सोमवार 7 सितंबर को यह 42.05 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है।
उच्चतम स्तर पर देश का विदेशी मुद्रा भंडार, पहुंचा 633 अरब डॉलर के पार
नई दिल्ली। पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। यह आयात को समर्थन देने के लिए आर्थिक संकट की स्थिति में अर्थव्यवस्था को बहुत आवश्यक मदद उपलब्ध कराता है। 27 अगस्त 2021 को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 16.663 अरब डॉलर बढ़कर 633.558 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।
इसलिए आई तेजी
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, इससे पहले 20 अगस्त 2021 को समाप्त सप्ताह में इसमें 2.47 करोड़ डॉलर की गिरावट आई थी और यह 616.895 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया था। विदेशी मुद्रा भंडार में यह वृद्धि विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) होल्डिंग में वृद्धि से हुई है।
आलोच्य सप्ताह में भारत की एसडीआर हिस्सेदारी 17.866 अरब डॉलर से बढ़कर 19.407 अरब डॉलर पर पहुंच गई। मालूम हो कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) अपने सदस्यों को बहुपक्षीय ऋण देने वाली एजेंसी में उनके मौजूदा कोटा के अनुपात में सामान्य एसडीआर का आवंटन करता है।
विदेशी मुद्रा संपत्तियों (एफसीए) 1.409 अरब डॉलर घटकर 571.6 अरब डॉलर रह गया। विदेशी मुद्रा संपत्तियों में विदेशी मुद्रा भंडार में रखी यूरो, पाउंड और येन जैसी दूसरी विदेशी मुद्राओं के मूल्य में वृद्धि या कमी का प्रभाव भी शामिल होता है।
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स्वर्ण भंडार में भी बढ़त
इस दौरान देश का स्वर्ण भंडार 19.2 करोड़ डॉलर बढ़ा और 37.441 अरब डॉलर पर पहुंच गया। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास मौजूद देश का आरक्षित भंडार 1.4 करोड़ डॉलर बढ़कर 5.11 अरब डॉलर रह गया।
जानें क्या है विदेशी मुद्रा भंडार
विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग जरूरत पड़ने पर देनदारियों का भुगतान करने में किया जाता है। इसमें आईएमएफ में विदेशी मुद्रा असेट्स, स्वर्ण भंडार और अन्य रिजर्व शामिल होते हैं, जिनमें से विदेशी मुद्रा असेट्स सोने के बाद सबसे बड़ा हिस्सा रखते हैं।
विदेशी मुद्रा भंडार के फायदे
साल 1991 में देश को पैसा जुटाने के लिए सोना गिरवी रखना पड़ा था। तब सिर्फ 40 करोड़ डॉलर के लिए भारत को 47 टन सोना इंग्लैंड के पास गिरवी रखना पड़ा था। लेकिन मौजूदा स्तर पर, भारत के पास एक वर्ष अर्थव्यवस्था में विदेशी मुद्रा बाजार का महत्व से अधिक के आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त मुद्रा भंडार है। यानी इससे एक साल से अधिक के आयात खर्च की पूर्ति सरलता से की जा अर्थव्यवस्था में विदेशी मुद्रा बाजार का महत्व अर्थव्यवस्था में विदेशी मुद्रा बाजार का महत्व सकती है, जो इसका सबसे बड़ा फायदा है।
अच्छा विदेशी मुद्रा भंडार आरक्षित रखने वाला देश विदेशी व्यापार का अच्छा हिस्सा आकर्षित करता है और व्यापारिक साझेदारों का विश्वास अर्जित करता है। इससे वैश्विक निवेशक देश में और अधिक निवेश के लिए प्रोत्साहित हो सकते हैं। सरकार जरूरी सैन्य सामान की तत्काल खरीद का निर्णय भी ले सकती है क्योंकि भुगतान के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता को कम करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार प्रभावी भूमिका निभा सकता है।
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