विदेशी विनिमय प्रबंधन अधिनियम 1999 (फेमा) क्या है?

वर्तमान आर्थिक उदारीकरण के युग मे विदेशी विनिमय के उचित एवं बेहतर प्रबंध की आवश्यकता महसूस की गयी, जिसके परिणामस्वरूप विदेशी विनिमय नियमन अधिनियम अधिनियम, 1973 का समीक्षात्मक अध्ययन किया गया। इस अधिनियम की कमियों को ध्यान मे रखकर इसे समाप्त करने का निर्णय लिया गया। इस अधिनियम के स्थान पर विदेशी विनिमय प्रबंध अधिनियम, 1999 पारित किया गया। विदेशी विनिमय प्रबंध अधिनियम को 9 दिसम्बर, 1999 को राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त हो गयी। इस अधिनियम को फेमा के नाम से जाना जाता है। केन्द्र सरकार ने अधिनियम को अधिसूचना जारी करके 1 जनू, 2000 से प्रभावी कर दिया है।

फेमा, 1999 की धारा 1 के अनुसार फेमा भारत के प्रत्येक भाग मे लागू होता है। यह भारत के किसी नागरिक के स्वामित्व मे या उसके द्वारा नियंत्रित सभी शाखाओं, कार्यालयों या एजेंसियों या जिस व्यक्ति पर यह लागू होता है उसके द्वारा भारत से बाहर इसका उल्लंघन किए जाने पर भी लागू होगा। क्या भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार करना कानूनी है? यह अधिनियम 1 जून, 2000 से लागू है।

अधिनियम के उद्देश्य

फेमा के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार है--

1. विदेशी विनिमय से संबंधित कानून को सुदृढ़ बनाना एवं उसमे संशोधन करना, जिससे विदेशी व्यापार तथा भुगतान मे सुविधा प्राप्त हो सके।

2. देश मे विदेशी मुद्रा बाजार का योजनाबद्ध एवं सुनियोजित विकास करना एवं उसे बनाये रखना।

3. देश मे विदेशी विनिमय संचय मे वृद्धि, विदेशी व्यापार मे वृद्धि, व्यापार को अधिक विवेकपूर्ण बनाना, चालू खाते की परिवर्तनशीलता, विदेशों मे भारत के विनिवेश का उदारीकरण, भारतीय निगमों द्वारा विदेशी व्यापारिक ऋणों मे निकटता मे हुई वृद्धि एवं स्कन्ध विपणि मे विदेशी संस्थागत निवेशकों की सहभागिता मे वृद्धि करना आदि।

4. विदेशी विनिमय प्रबंध अधिनियम, 1999 के प्रावधानों का उद्देश्य विदेशी विनिमय से संबंधित कानून को इस विचार से संगठित और संशोधित करके विदेशी व्यापार का सरलीकरण किया जाये। इसके साथ ही साथ विदेशी व्यापार उचित ढंग से संचालित होता रहे। यह अधिनियम 13 वीं लोकसभा मे पारित किया गया।

फेमा की मुख्य विशेषताएं

1. विदेशी विनिमय का नियमन एवं प्रबंध

फेमा 1999 की एक मुख्य विशेषता यह है कि पूर्व मे "फेरा" के नियमों एवं प्रबंध मे और अधिक उदार तरीके से विदेशी विनिमय संबंधी मामलों का नियमन एवं प्रबंध किया जाएह इसके अंतर्गत मुख्य रूप से निम्न बाते आती है--

(अ) विदेशी विनिमय मे व्यवहार करना

फेमा-1999 की धारा 3 के अनुसार बिना रिजर्व बैंक की आज्ञा के या इस अधिनियम के नियमों के विशिष्ट प्रावधानों के अभाव मे कोई भी व्यक्ति निम्न कार्यवाही नही कर सकता--

1. कोई व्यक्ति विदेशी विनिमय या विदेशी प्रतिभूति मे व्यवहार या हस्तांतरण न करेगा जब तक कि वह अधिकृत व्यक्ति न हो।

2. कोई व्यक्ति किसी भी तरीके से भारत के बाहर किसी निवासी को न तो धन की अदायगी कर सकता है और न ही खाते मे कोई धन डाल सकता है।

3. अधिकृत व्यक्ति के अतिरिक्त अन्य के द्वारा भारत से बाहर या बाहर से भारत मे कोई भी धन का हस्तांतरण नही किया जा सकता है।

4. भारत से बाहर कोई संपत्ति प्राप्त करने, निर्मित करने या हस्तांतरित करने के उद्देश्य से भारत मे कोई व्यक्ति किसी वित्तीय सौदे मे शामिल नही हो सकता।

फेमा के अधिकृत व्यक्ति संबंधी प्रावधान

कौन व्यक्ति विदेशी विनिमय या विदेशी प्रतिभूतियों का व्यवहार करने के लिए अधिकृत है, इस संबंध मे फेमा के प्रमुख प्रावधान इस प्रकार है--

1. अधिकृत करने का अधिकार रिजर्व बैंक का

फेमा मे इस बात का प्रावधान किया गया है कि अगर कोई क्या भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार करना कानूनी है? व्यक्ति रिर्जव बैंक आवेदन दे तो वह किसी व्यक्ति को विदेशी विनिमय या विदेशी प्रतिभूतियों मे व्यवहार करने, मुद्रा परिवर्तन के लिए या समुद्रतट की बैंकिंग इकाई मे व्यवहार करने के लिए अधिकृत कर सकता है।

2. अधिकृत करने के अधिकार का खण्डन

इन दशाओं मे रिजर्व बैंक किसी समय अपने अधिकृत करने के अधिकार का खण्डन कर सकता है--

(अ) अगर ऐसा करना सार्वजनिक हित क्या भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार करना कानूनी है? मे न हो,

(ब) जब अधिकृत व्यक्ति दी गई शर्तों के पालन मे असफल रहता है या इन अधिनियम के अन्य नियमों या निर्देशों की अवहेलना का दोषी पाया जाता है। लेकिन ऐसा करने के पूर्व संबंधित व्यक्ति को अपनी स्थिति स्पष्ट करने का अधिकार देना होगा।

3. अधिकृत व्यक्ति के कर्तव्य

(अ) रिजर्व बैंक के निर्देशों का पालन

जो व्यक्ति विदेशी विनिमय या प्रतिभूतियों मे व्यवहार करता है उसे रिर्जव बैंक के सभी निर्देशों का पालन करना चाहिए।

(ब) शर्तों के अनुरूप कार्य करना

अधिकृत व्यक्ति को रिर्जव बैंक की पूर्व अनुमति के बिना दी गई शर्तों के विपरीत कोई सौदा नही करना चाहिए।

(स) अधिकृत करने वाले व्यक्ति की घोषणा

किसी व्यक्ति की तरफ से किसी विदेशी विनिमय सौदे का कार्यभार लेते समय अधिकृत व्यक्ति उस व्यक्ति से ऐसी घोषणा की मांग कर सकता है कि उसके इस कार्य को करने इस अधिनियम की अवहेलना नही होगी।

(द) रिर्जव बैंक को सूचना

अगर अधिकृत व्यक्ति को इस बात का विश्वास हो जाता है कि इस कार्य को करने से अधिनियम की अवहेलना हो सकती है तो वह रिर्जव बैंक को रिर्पोट करेगा।

(ई) विदेशी विनिमय की स्वीकृति

किसी अन्य व्यक्ति द्वारा प्रयोग मे न लाये गये विदेशी विनिमय को समर्पण किये जाने पर अधिकृत व्यक्ति को उसे स्वीकार करना होगा।

4. अधिकृत व्यक्ति के संबंध मे रिजर्व बैंक के अधिकार

(अ) अधिकृत करने का अधिकार

विदेशी विनिमय प्रतिभूति, मुद्रा परिवर्तन या तटीय बैंकिंग मे व्यवहार करने के लिए किसी व्यक्ति को अधिकृत करने का रिर्जव बैंक को अधिकार है।

(ब) अधिकार को खण्डित करने का अधिकार

कुछ परिस्थितियों मे रिजर्व बैंक को अपने इस अधिकार के खण्डन का भी अधिकार प्राप्त है।

(स) निर्दश एवं सूचनायें मंगाने का अधिकार

रिजर्व बैंक को अधिकृत व्यक्ति को निर्दश देने तथा उससे सूचनायें मंगवाने का अधिकार है।

(द) अर्थदण्ड लगाने का अधिकार

निर्देशों का पालन न करने पर तथा स्पष्टीकरण का अवसर देने के बाद रिजर्व बैंक को 10,000 रूपये तक का अर्थदण्ड लगाने का अधिकार है। निरन्तर अवहेलना जारी रहने पर अतिरिक्त दण्ड 2,000 रूपये प्रतिदिन तक लगाया जा सकता है।

(ई) अधिकृत व्यक्ति की जांच का अधिकार

रिज़र्व बैंक अपने किसी अधिकारी के माध्यम से अधिकृत व्यक्ति के व्यवसाय, उसके द्वारा दिये गये बयान की सत्यता आदि की जांच करा सकता है।

मैसूर के केन्द्रीय उत्पाद शुल्क की आधिकारिक वेबसाइट

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क्या भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार करना कानूनी है?

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विदेशी विनिमय प्रबंधन अधिनियम 2000

संसद ने विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1973 को प्रतिस्‍थापित करने के लिए विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 अधिनियम बनाया है । यह नियम 1 जून , 2000 से लागू हुआ है । उक्‍त अधिनियम के अन्तर्गत मामलों की जांच करने हेतु केन्‍द्र सरकार ने निदेशक और अन्‍य अधिकारियों सहित प्रवर्तन निदेशालय को चिन्‍हित किया है ।

इस अधिनियम का प्रयोजन भारत में विदेशी मुद्रा बाजार का अनुरक्षण और विधिवत रूप से विकास का उन्‍नयन और विदेशी व्यापार और भुगतान को साध्‍य बनाने के उद्देश्‍य से विदेशी मुद्रा से संबंधित कानून को समेकित और संशोधित करना है ।

यह अधिनियम सम्‍पूर्ण भारत में लागू है और भारतीय निवासी द्वारा नियंत्रित या भारत से बाहर उनके स्‍वामित्‍व में एजेंसियों और सभी शाखाओं , कार्यालयों में भी लागू होगा । जहां यह नियम लागू है किसी भी व्‍यक्‍ति द्वारा भारत से बाहर किए गए उल्‍लंघन पर भी लागू होगा ।

विदेशी मुद्रा प्रबंध व्‍यापक स्‍कीम अधिनियम , 1999

धारा 3- प्राधिकृत व्‍यक्‍ति के माध्‍यम को छोड़कर विदेशी मुद्रा में लेन-देन निषेध है । यह धारा बताती है कि कोई भी व्‍यक्‍ति भारतीय रिजर्व बैंक के साधारण या विशेष अनुमति के बिना नहीं कर सकता है –

(क) प्राधिकृत व्‍यक्‍ति न होने के कारण कोई भी व्‍यक्‍ति विदेशी प्रतिभूतियां या विदेशी मुद्रा अंतरण या लेन –देन

(ख) भारत से बाहर रह रहे कोई भी व्‍यक्‍ति किसी प्रकार से क्रेडिट के लिए या भुगतान क्या भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार करना कानूनी है? के लिए

(ग) किसी प्रकार के भारत से बाहर रह रहे किसी भी व्‍यक्‍ति की ओर से या आदेश द्वारा भुगतान, प्राधिकृत व्‍यक्‍ति के माध्‍यम से अन्‍यथा प्राप्‍त करना,

(घ) किसी भी व्‍यक्‍ति द्वारा भारत के बाहर कोई भी सम्पत्ति, अर्जन करने के लिए अधिकार का अंतरण या सृजन या अर्जन के सहयोजन में विचार के लिए भारत में किसी भी वित्‍तीय लेन-देन में प्रविष्‍टि

धारा -4 इस नियम में विशेष रूप से यथा उपबंधित के अतिरिक्त भारत से बाहर स्थित कोई भी अचल सम्पत्ति या विदेशी मुद्रा हस्तांतरण करने या अर्जन, धारण , स्‍वामित्‍व, कब्‍जा करने से भारत में किसी भी व्‍यक्‍ति को रोकना । “विदेशी मुद्रा ” और “ विदेशी प्रतिभूति ” के निबंधन को इस नियम की धारा 2 (ध) और 2(न) में परिभाषित है । केन्द्रीय सरकार ने विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू लेखा लेन-देन) अधिनियम, 2000 बनाया है ।

धारा-6 पूंजीगत लेखा लेन-देन के बारे में यह धारा पूंजीगत लेखा लेन- देन के लिए एक प्राधिकृत व्‍यक्‍ति को या विदेशी मुद्रा बेचने या निकालने के लिए एक व्यक्ति को अनुमति देती है । केन्द्रीय सरकार के परामर्श से भारतीय रिजर्व बेंक ने धारा 6 की उपधारा (2) और (3) के शर्तों के अनुसार पूंजीगत लेखा लेन- क्या भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार करना कानूनी है? देन पर विभिन्‍न विनियम जारी किए हैं ।

धारा 7- माल एवं लेखा निर्यात के बारे में प्रत्‍येक निर्यातकों को पूर्ण निर्यात मूल्‍य के बारे में घोषणा आदि किसी अन्‍य प्राधिकरण या भारतीय रिजर्व बैंक को प्रस्तुत करना अपेक्षित है ।

धारा-8 भारत में निवास व्यक्तियों पर दायित्‍व डालना जिनके पास कोई विदेशी मुद्रा देय राशि है या भारतीय रिजर्व बैंक,द्वारा विनिर्दिष्‍ट रीति और विनिर्दिष्‍ट अवधि के अन्‍दर भारत में प्रत्‍यावर्तित और उसे वसूली के लिए उनके पक्ष में प्रोदभूत किया गया है ।

धारा 10 और 12 – प्राधिकृत व्यक्तियों के शुल्‍कों और देयताओं के संबंध में । इस नियम की धारा 2(ग) में प्राधिकृत व्‍यक्‍ति को परिभाषित किया गया है जिससे अभिप्राय एक प्राधिकृत व्‍यक्‍ति डीलर, मुद्रा परिवर्तन, विदेश में स्थित आफशोर बैकिंग इकाई या अन्‍य व्‍यक्‍ति को कुछ समय के लिए विदेशी मुद्रा या विदेशी प्रतिभूतियां हैं ।

धारा 13 और 15 – इस नियम के अंतर्गत संयुक्‍त उल्लंघन के अतिरिक्‍त न्याय निर्णयन प्राधिकरण के शास्‍तियां और प्रवर्तन के अधिनियम ।

धारा क्या भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार करना कानूनी है? 36 से 37 – इस नियम के अंतर्गत शक्‍तियों का प्रयोग करते हुए जारी किए आदेश या अधिनियम, नियम, विनियम, अधिसूचनाएं , निर्देशनों के किसी भी प्रावधानों के उल्लंघन की जांच कराने के लिए शक्तियां और प्रवर्तन निदेशालय के स्थापन के संबंध में है । प्रवर्तन निदेशक और सहायक निदेशक श्रेणी के अन्‍य प्रवर्तन अधिकारी को जांच करने के लिए अधिकार दिए गए हैं ।

प्रवर्तन निदेशालय की भूमिका

प्रवर्तन निदेशालय मुख्य रूप से विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियमों के प्रावधानों और अधिनियमों के उद्देश्‍यों को पूरा करने के लिए इसके तहत जारी नियम और विनियमों से संबंधित है । निदेशालय के अधिकारी न्यायनिर्णयन कार्य भी निष्‍पादित करते हैं ताकि अधिनियम के उल्लंघन के लिए व्‍यक्‍तियों पर शास्‍ति अधिरोपित की जाए ।

प्रवर्तन निदेशालय का मुख्‍यालय नई दिल्‍ली में है । इसके दस क्षेत्रीय कार्यालय अहमदाबाद , बंगलौर, चंडीगढ़ , चेन्‍नई , कोचीन, दिल्ली, हैदराबाद , लखनऊ, कोलकाता और मुम्‍बई में है । क्षेत्रीय कार्यालयों के अध्‍यक्ष उप निदेशक हैं निदेशालय के 11 उप क्षेत्रीय कार्यालय भुवनेश्‍वर, कालीकट, गुवाहाटी, इंदौर, जालन्‍धर, जयपुर, मदुरै, नागपुर, पटना, श्रीनगर और वाराणसी में है । । इसके अतिरिक्त‍ तीन विशेष प्रवर्तन निदेशक और दो अतिरिक्त प्रवर्तन निदेशक हैं ।

धन शोधन निवारण अधिनियम की धारा 49 की उप-धारा (1) द्वारा प्रदत्त शक्‍तियों के प्रयोग में, धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत जांच शीघ्र करने हेतु प्रवर्तन निदेशालय की सहायता करने के लिए, सरकार ने हाल ही में विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (फेरा) की धारा 36 की उप-धारा (2) के तहत प्रवर्तन निदेशालय में नियुक्‍त प्रवर्तन अधिकारी को धन शोधन निवारण अधिनियम (पी एम एल ए) 2002 के प्रयोजनों हेतु सहायक निदेशक के रूप में अधिकृत किया है ।

भारत के भुगतान संतुलन की स्थिति को लेकर निश्चिंत होकर बैठ जाना सही नहीं होगा

कोरोना महामारी के बाद वैश्विक उत्पादन के धीरे-धीरे सामान्य होने की कोशिशों को बढ़ रही खाद्य क्या भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार करना कानूनी है? और ऊर्जा मुद्रास्फीति का तगड़ा झटका लगा है. खाद्य और ऊर्जा मुद्रास्फीति को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रमुख ने विश्व अर्थव्यवस्था के लिए स्पष्ट और साक्षात खतरा करार दिया है.

यूक्रेन संघर्ष से हुए नुकसान का पूरा आकलन किया जाना अभी बाकी है. सच यह है कि भारत समेत ज्यादातर अर्थव्यवस्थाएं संघर्ष के समाधान से ऊर्जा और खाद्य कीमतों में नरमी आने की उम्मीद के आसरे बैठी हैं.

सरकारों में ईंधन की बढ़ी हुई कीमतों का पूरा बोझ उपभोक्ताओं पर लादने को स्थगित करने की प्रवृत्ति होती है. यह एक प्रेशर कुकर को पूरी आंच पर ज्यादा समय तक रखे रहने जैसा है. दक्षिण एशिया और लैटिन अमेरिका की छोटी अर्थव्यवस्थाएं पहले ही विदेशी मुद्रा संकट के मुहाने पर पहुंच चुकी हैं, क्योंकि इनमें से ज्यादातर ऊर्जा और खाद्य की शुद्ध आयातक है.

खुशकिस्मती से भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अच्छा-खासा है, लेकिन पिछले लगातार चार हफ्ते से इसमें धीरे-धीरे गिरावट आती जा रही है. 9 अप्रैल को समाप्त हुए सप्ताह में भारत के रिजर्व बैंक के मुद्रा भंडार में 11 अरब अमेरिकी डॉलर की कमी आई और यह गिरकर 606 अरब डॉलर का रह गया.

यूक्रेन युद्ध के वास्तविक प्रभाव सामने आने से पहले ही पांच महीने में इसमें 35 अरब डॉलर की गिरावट आई थी. भारत का विदेशी क्षेत्र फिलहाल स्थिर नजर आ सकता है, लेकिन यह मानकर नहीं बैठ जाना चाहिए कि यह संकटों से अछूता रहेगा.

पहली बात, कई अर्थशास्त्री वर्तमान वित्त वर्ष में भुगतान संतुलन के नकारात्मक रहने का अनुमान लगा रहे हैं. हाल के वर्षों में भारत का चालू खाते का घाटा 1-1.5 फीसदी के आसपास (मोटे तौर पर 40 अरब अमेरिकी डॉलर) रहा है, जिसकी पर्याप्त से अधिक भरपाई कहीं ज्यादा विदेशी पूंजी प्रवाह से हो गई.

दमदार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और स्टॉक मार्केट में सकारात्मक विदेशी संस्थागत निवेशकों के पोर्टफोलियो निवेश का इसमें हाथ रहा. भारत का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ता चला गया. लेकिन इस वित्तीय वर्ष में समीकरण बदल गया है.

विदेशी निवेशक अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्डों में सुरक्षित शरणस्थली तलाश रहे हैं. अमेरिकी फेडरल रिजर्व अैर ओईसीडी देशों के अन्य केंद्रीय बैंकों द्वारा अपनी आसान पूंजी की नीति को धीरे-धीरे वापस लेने से स्थिति और गंभीर हो गई है.

याद कीजिए, लगभग शून्य ब्याज दरों पर यह आसान पूंजी 2020-21 में भारत के टेक (तकनीक) और ग्रीन एनर्जी (हरित ऊर्जा) क्षेत्र की और बड़े पैमाने पर मुखातिब थी, जो विदेशी मुद्रा भंडार में बड़ी वृद्धि कर रहा था. इन सुहाने दिनों का अंत हो गया है.

अगर मौजूदा रुझानों के हिसाब से देखें, तो 2022-23 में पूंजी के आगमन में तेज गिरावट क्या भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार करना कानूनी है? आएगी और व्यापार घाटा लगभग दोगुना हो जाएगा. ऊंची ऊर्जा और वस्तु (कमोडिटी) कीमतों के कारण भारत का आयात निर्यात की तुलना में ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है, जिससे व्यापार घाटा बढ़ रहा है.

मार्च में इसने 18.5 अरब अमेरिकी डॉलर के शीर्ष को छू लिया. वार्षिक तौर पर इसके 210 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाने की संभावना है.

अगर विदेश में रह रहे भारतीयों द्वारा हर साल लगभग 90 अरब डॉलर के रेमिटेंस को आकलन में शामिल करते हुए कहा जाए, तो चालू खाते का घाटा 120 अरब डॉलर के अभूतपूर्व शिखर तक या जीडीपी के 3.5-4 प्रतिशत तक पहुंच सकता है. भुगतान संतुलन के बने रहने के लिए भारत को इस पैमाने के पूंजी निवेश की दरकार होगी.

ऐसी स्थिति में जब ज्यादातर बड़े केंद्रीय बैंक आसान पूंजी को वापस ले रहे हैं, क्या अगले दस महीनों में ऐसा हो पाना मुमकिन है? ज्यादातर अर्थशास्त्रियों का आकलन है कि भुगतान संतुलन नकारात्मक रहेगा.

उदाहरण के लिए, अगर अपने चालू खाते के घाटे को पाटने के लिए भारत को 120 अरब डॉलर की जरूरत होती है, लेकिन शुद्ध पूंजी निवेश के तौर पर इसे सिर्फ 50 अरब डॉलर की ही प्राप्ति होती है, तो बचे हुए 70 अरब डॉलर के भुगतान के लिए आरबीआई के खजाने से पैसे लेने के अलावा और कोई चारा नहीं होगा.

ऐसा निश्चित लगता है कि अगले 11 महीनों में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार और नीचे आएगा. समस्या यह है कि ऐसा नकारात्मक माहौल बनने से पूंजी का पलायन और भी तेज हो सकता है.

मिसाल के लिए, भुगतान संतुलन के घाटे को पूरा करने के बाद भी आरबीआई के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार हो सकता है, लेकिन इसके बावजूद मुद्रा कमजोर हो सकती है और इसे समर्थन देने के क्या भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार करना कानूनी है? लिए विदेशी मुद्रा भंडार में हाथा डालना पड़ सकता है.

इन हालात में विश्वास दरक सकता है और जोखिम के दूसरे कारक खतरनाक नजर आने लग सकते सकते हैं. मिसाल के लिए, रेसिडुअल मैच्योरिटी आधार पर भारत का लघु आवधिक विदेशी कर्ज (जिनमें अगले 12 महीने में देय होनेवाली दीर्घावधिक कर्ज और एक साल से कम समय में देय छोटे मियाद वाले कर्ज की देनदारियां शामिल हैं) जून, 2021 के अंत में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार का 41.8 फीसदी था. यानी जून, 2022 तक 250 अरब डॉलर के छोटे मियाद वाले कर्ज का भुगतान किया जाना है.

इस बात की संभावना है कि जून, 2022 तक देय होने वाले कुछ लघु आावधिक कर्ज का, अगर उन्हें आगे बढ़ाया जाना संभव न हुआ, भुगतान विदेशी मुद्राभंडार से किया जाएगा. सामान्य क्या भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार करना कानूनी है? तौर पर इस तरह के कई कर्जों को आगे बढ़ा दिया जाता है, लेकिन यूक्रेन संकट के बाद हालात को सामान्य कतई नहीं कहा जा सकता है.

आईएमएफ ने कहा है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को ‘जटिल नीतिगत दुविधाओं’ का सामना करना पड़ सकता है, जो नीतियों का जटिल मकड़जाल खड़ी कर सकती हैं.

एक साफ दुविधा यह है कि अगर विदेशी मोर्चा दबाव में आता है और अनिवार्य आयातों में कमी करने की जरूरत आन पड़ती है, तो भी ऐसा करने की एक सीमा है, क्योंकि गरीब और कमजोर आबादी का ख्याल रखना जरूरी है. श्रीलंका, पेरू, नेपाल, पाकिस्तान, अफगानिस्तान आदि में हम यह देख रहे हैं.

कोई भी देश, खासकर जो मध्य आय वाले वर्ग में हैं, वे इससे पूरी तरह से सुरक्षित नहीं हैं. भारत की बुनियाद बेहतर नजर आती है, लेकिन भुगतान संतुलन की स्थिति पर नजर रखना जरूरी है, जिसमें हर 10-12 साल पर पीछे की ओर फिसलने की प्रवृत्ति होती है.

(इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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