निफ्टी बास्केट के भीतर ऐसे स्टॉक हैं जो 15,000 रुपये से 30,000 रुपये प्रति शेयर के बीच कहीं भी ट्रेड करते हैं। ETF की सीमाएं क्या हैं? नए निवेशकों के लिए, विशेष रूप से उनके करियर के शुरुआती चरण में सीमित मासिक या समय-समय पर यह राशि बहुत बड़ी और पहुंच से बाहर हो सकती है।

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सबसे बड़ी सरकारी कंपनियों का CPSE ETF निवेश के लिए खुला, क्या आपको इसमें पैसा लगाना चाहिए?

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  • Last Updated : January 31, 2020, 10:04 IST

नई दिल्ली. सेंट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज (CPSE) का एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) निवेश के लिए खुल गया है. यह इस ईटीएफ की 7वीं खेप है. इस पर एक्सपर्ट्स कहते हैं कि लॉन्ग टर्म के इक्विटी म्यूचुअल फंड में पैसा लगाने वाले इसे दूर रहें.भले ही वैल्यूएशन कम हों और डिस्काउंट की पेशकश की जा रही हो. इस तरह के फंड केंद्रि‍त होते हैं. इसलिए इनमें ज्यादा अस्थिरता रहती है. इसमें सिर्फ 12 शेयर हैं जिनमें से चार कंपनियों कोल इंडिया, NTPC, ONGC और पावर ग्रिड का हिस्सा 79.5 फीसदी है. इसके चलते इसमें उथल-पुथल का खतरा ज्यादा है. आपको बता दें कि CPSE ETF का पहला न्यू फंड ऑफर मार्च 2014 में लॉन्च हुआ था. फिर जनवरी 2017 में इसके जरिए 13,705 करोड़ रुपये जुटाए गए थे. इसके बाद मार्च 2017 और नवंबर 2018 में इसकी पेशकश की गई थी.

Gold ETF से नवंबर में 195 करोड़ निकाला गया, शेयर बाजार में तेजी का निवेशकों ने उठाया लाभ

Gold ETF से नवंबर महीने में 195 करोड़ की निकासी की गई. अक्टूबर और सितंबर महीने में मिलाकर 477 करोड़ का निवेश किया गया था. एक्सपर्ट के मुताबिक, बाजार की तेजी का फायदा उठाने के लिए इसमें प्रॉफिट बुकिंग किया गया है.

Gold ETF: शेयर बाजार में जारी तेजी का फायदा उठाने के लिए निवेशकों ने गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (Gold ETF) से नवंबर महीने में 195 करोड़ की निकासी की. अक्टूबर महीने में गोल्ड ईटीएफ में 147 करोड़, सितंबर महीने में 330 करोड़ का निवेश आया था. अगस्त में इस फंड से 38 करोड़ की निकासी की गई थी. यह रिपोर्ट म्यूचुअल फंड एसोसिएशन AMFI की तरफ से जारी की गई है. शेयर बाजार इस समय अपने उच्चतम स्तर ETF की सीमाएं क्या हैं? पर. Nifty 18600 के पार है, जबकि बैंक निफ्टी 44 हजार का स्तर छूने वाला है.

2022 में अब तक 1121 करोड़ का निवेश

LXME की संस्थापक प्रीति राठी गुप्ता ने कहा, ‘‘गोल्ड ईटीएफ से निकासी का कारण निवेशकों की बाजार में तेजी का लाभ उठाना की मंशा और शादी-ब्याह के सीजन में परिवारों से सोने की मांग आना है.’’ आंकड़ों के मुताबिक, इस वर्ष गोल्ड ईटीएफ कैटिगरी में अबतक शुद्ध रूप से 1121 करोड़ रुपए का निवेश हुआ है.

निकासी के बावजूद गोल्ड ईटीएफ का असेट अंडर मैनेजमेंट (Gold ETF AUM) नवंबर के अंत में बढ़कर 20833 करोड़ रुपए पर पहुंच गया ETF की सीमाएं क्या हैं? जो अक्टूबर के अंत में 19882 करोड़ रुपए था. समीक्षाधीन अवधि में इस कैटिगरी में फोलियो की संख्या 11800 से अधिक बढ़कर 46.8 लाख हो गई. गोल्ड ईटीएफ पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन के लिहाज से महत्वपूर्ण है. निवेशक महंगाई के खिलाफ हेजिंग के तौर पर भी इसका इस्तेमाल करते हैं.

डीमैट अकाउंट की जरूरत?

गोल्ड ईटीएफ के लिए डीमैट अकाउंट होना जरूरी है। वहीं, साॅवरेन गोल्ड बॉन्ड के लिए डीमैट अकाउंट होना जरूरी नहीं है। हां, अगर आप सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की एक्सचेंज पर ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो आपको बॉन्ड को डीमैट फॉर्म में लेना होगा, जिसके लिए डीमैट अकाउंट का होना जरूरी है। सबस्क्रिप्शन के दौरान ही आपको सॉवरिन बॉन्ड फिजिकल फॉर्म (सर्टिफिकेट) के अतिरिक्त डीमैट फार्म में भी लेने का विकल्प मिलता है।

निवेश पर किसमें ज्यादा जोखिम

साॅवरेन गोल्ड बॉन्ड सरकार की तरफ से आरबीआई जारी करती है। इसलिए इसमें डिफॉल्ट का कोई जोखिम नहीं है। वहीं, गोल्ड ईटीएफ म्यूचुअल फंड हाउस कंपनियों द्वारा ETF की सीमाएं क्या हैं? जारी किया जाता है। ऐसे में इसमें डिफॉल्ट का खतरा होता है लेकिन वह काफी कम होता है।

किस पर कितना ब्याज

साॅवरेन बॉन्ड पर 2.5 फीसदी की दर से सालाना ब्याज मिलता है। यह हर 6 महीने में देय होता है। अंतिम ब्याज मैच्योरिटी पर मूलधन के साथ दिया जाता है। ब्याज की रकम टैक्सेबल होती है। वहीं, गोल्ड ईटीएफ पर आपको कुछ भी ब्याज नहीं मिलता। यानी आप ब्याज से इनकम चाहते हैं और सोने की बढ़ी कीमत का लाभ तो सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड एक बेहतर उत्पाद है।

गोल्ड ईटीएफ ETF की सीमाएं क्या हैं? मैनेज करने के एवज में म्यूचुअल फंड हाउस निवेशक से टोटल एक्सपेंस रेश्यो (टीईआर) चार्ज वसूलते हैं। जब भी आप यूनिट खरीदते या बेचते हो ब्रोकर को ब्रोकरेज चार्ज देना होता है। जबकि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में इस तरह ETF की सीमाएं क्या हैं? का कोई अतिरिक्त एक्सपेंस नहीं है। हां, अगर आप सॉवरिन बॉन्ड को एक्सचेंज पर खरीदोगे या बेचोगे तो आपको ब्रोकरेज चार्ज देना होगा। जरूरत पड़ने पर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के एवज में बैंक से लोन भी लिया जा सकता है। वहीं, गोल्ड ईटीएफ पर यह सुविधा नहीं है।

Nifty 50 ETF: नए निवेशकों के लिए बेहतर है 'निफ्टी 50 ईटीएफ', शेयर बाजार में पहली बार निवेश की पूरी जानकारी

सांकेतिक तस्वीर

अगर आप इक्विटी में नए हैं और सीधे शेयरों के साथ निवेश की शुरुआत करना चाहते हैं, तो सही शेयर में निवेश का निर्णय लेना आसान नहीं है। इससे पहले आपको कंपनी की वित्तीय स्थिति, उसकी कारोबारी संभावनाओं, मूल्यांकन, उद्योग की गतिशीलता, बाजार की स्थितियों आदि को समझने की जरूरत है। यहीं पर निफ्टी 50 ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) सामने आता है।

ईटीएफ एक विशिष्ट इंडेक्स को ट्रैक करता है। इससे एक्सचेंजों पर स्टॉक की तरह कारोबार किया जाता है, लेकिन इसे म्यूचुअल फंड हाउस द्वारा ऑफर किया जाता है। आप बाजार समय के दौरान एक्सचेंजों से ईटीएफ की यूनिट्स खरीद और बेच सकते हैं। इस संबंध में निफ्टी 50 ईटीएफ पहली बार स्टॉक निवेशकों के लिए और सामान्य रूप से अपनी इक्विटी यात्रा शुरू करने वालों के लिए एक शुरुआती प्वॉइंट में से एक है।

विस्तार

अगर आप इक्विटी में नए ETF की सीमाएं क्या हैं? हैं और सीधे शेयरों के साथ निवेश की शुरुआत करना चाहते हैं, तो सही शेयर में निवेश का निर्णय लेना आसान नहीं है। इससे पहले आपको कंपनी की वित्तीय स्थिति, उसकी कारोबारी संभावनाओं, मूल्यांकन, उद्योग की गतिशीलता, बाजार की स्थितियों आदि को समझने की जरूरत है। यहीं पर निफ्टी 50 ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) सामने आता है।

ईटीएफ एक विशिष्ट इंडेक्स को ट्रैक करता है। इससे एक्सचेंजों पर स्टॉक की तरह कारोबार किया जाता है, लेकिन इसे म्यूचुअल फंड हाउस द्वारा ऑफर किया जाता है। आप बाजार समय के दौरान एक्सचेंजों से ईटीएफ की यूनिट्स खरीद और बेच सकते हैं। इस संबंध में निफ्टी 50 ETF की सीमाएं क्या हैं? ईटीएफ पहली बार स्टॉक निवेशकों के लिए और सामान्य रूप से अपनी इक्विटी यात्रा शुरू करने वालों के लिए एक शुरुआती प्वॉइंट में से एक है।

50 ब्लूचिप शेयरों के विविधीकरण में निवेश
निफ्टी 50 इंडेक्स में बाजार पूंजीकरण में सबसे बड़ी भारतीय कंपनियां शामिल हैं। इसलिए, निफ्टी 50 ईटीएफ निवेशक के लिए शेयरों और सेक्टर्स में उम्दा विविधीकरण प्रदान करता है।

SGB में सालाना 2.ETF की सीमाएं क्या हैं? 5 फीसदी का मिलता है ब्याज

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड भी सोने में निवेश का एक तरीका है. इसमें सालाना 2.5 फीसदी का ब्याज मिलता है. 8 साल का लॉक-इन पीरियड होता है. हर छह महीने में ब्याज की राशि ऑटो क्रेडिट हो जाती है. मैच्योरिटी पूरी तरह टैक्स फ्री है, जबकि इंट्रेस्ट इनकम पर टैक्स स्लैब के मुताबिक टैक्स करेगा. गोल्ड बॉन्ड की एवज में ETF की सीमाएं क्या हैं? लोन भी ले सकते हैं.

कीर्तन ए शाह ने कहा कि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की बात करें तो मार्केट रेट से डिस्काउंट पर मिलता है. स्टोरेज का झंझट नहीं है और जीएसटी भी नहीं लगता है. हर साल 2.5 फीसदी का ब्याज, कैपिटल गेन के अलावा एडिशनल बेनिफिट है. हालांकि इस इनकम पर टैक्स लगता है. नुकसान की बात करें तो इसमें फिजिकल गोल्ड की बैकिंग नहीं होती है. डिजिटल गोल्ड और गोल्ड ईटीएफ में फिजिकल गोल्ड की बैकिंग होती है. SGB में सरकार का भरोसा होता है. इसमें गोल्ड की फिजिकल डिलिवरी नहीं होती है. कम से कम 1 ग्राम खरीदना होगा.

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