क्रिप्टोकरेंसी के वर्गीकरण में वित्तीय क्षेत्र के विशेषज्ञ अपनी एक राय रखते हैं. कई कहते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी को वैध मुद्रा के तौर पर अनुमति देने से समस्याएं उत्पन्न होंगी. देश नहीं चाहेंगे कि उनकी सार्वभौम मुद्राओं की जगह कोई क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन का जरिया बने. पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने हाल में एक टीवी कागजी मुद्रा और बिटकॉइन के बीच अंतर डिबेट में कहा था कि क्रिप्टोकरेंसी को एक परिसंपत्ति कागजी मुद्रा और बिटकॉइन के बीच अंतर के तौर पर तो मान्यता दी जाती है लेकिन मुद्रा के रूप में नहीं. उन्होंने डिजिटल करेंसी की भी वकालत की. उन्होंने कहा, “ये समय कागज से डिजिटल करेंसी कागजी मुद्रा और बिटकॉइन के बीच अंतर की ओर जाने का है. सरकार को डिजिटल रुपए के लिए उचित मॉडल बनाना चाहिए.”
फीचर आर्टिकल: बिटकॉइन को वैध मुद्रा का दर्जा मिलने के पूरे क्रिप्टो मार्केट के लिए क्या मायने हैं?
बिटकॉइन दुनिया की सबसे पहली डीसेंट्रलाइज्ड क्रिप्टोकरेंसी या कहें कि डिजिटल कॉइन है। इसका आविष्कार 2008 में हुआ लेकिन मुख्य इस्तेमाल 2010 से शुरू हुआ। पहले बिटकॉइन को संदेह की नजरों से देखा गया लेकिन अब ये दुनिया की सबसे लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी बन चुकी है। दुनिया में हजारों कंपनियां लेनदेन के लिए बिटकॉइन को अपना चुकी हैं। अब मध्य अमेरिकी देश अल-साल्वाडोर में बिटकॉइन को वैध मुद्रा की मान्यता भी कागजी मुद्रा और बिटकॉइन के बीच अंतर मिल गई है।
इतने कम समय में ही बिटकॉइन ने काफी लंबी दूरी तय कर ली है। इसकी वैधता का प्रभाव भारत और दूसरे देशों में भी महसूस हो रहा कागजी मुद्रा और बिटकॉइन के बीच अंतर है। इसकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि BTC से INR गूगल पर सबसे ज्यादा सर्च किया जाने वाला खोज शब्द है।
Current Affairs: जानिए- Bitcoin और अपने पैसे में क्या है अंतर? क्यों है इतना महंगा
लोगों के बीच इस बात को लेकर भी दुविधा है कि बिटक्वाइन और सामान्य रुपये में क्या अंतर हैं? आइए जानते हैं.
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भारत में बिटकॉइन टैक्स के बारे में सब कुछ
बिटकॉइन एक प्रकार की क्रिप्टोकरेंसी है, डिजिटल मुद्रा का दूसरा नाम जिसे भौतिक उत्पादों या सेवाओं के लिए व्यापारियों के साथ भुगतान के रूप में बदला जा सकता है। बिटकॉइन धारक एक केंद्रीकृत प्राधिकरण या बैंक को एक मध्यस्थ के रूप में कार्य करने की आवश्यकता के बिना सीधे एक दूसरे के साथ उत्पादों या सेवाओं की खरीद, बिक्री और व्यापार कर सकते हैं, इसके मूल में ब्लॉकचैन प्रौद्योगिकी के लिए धन्यवाद।
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क्रिप्टोकरेंसी बनाम सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी, जानें क्या है इनमें अंतर और क्या है नफा-नुकसान
भारत में क्रिप्टो मालिकों की संख्या 10.07 करोड़ है जो दुनिया भर में सबसे अधिक है.
क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) डिसेंट्रलाइज्ड है और भारत में किसी भी नियामक प्राधिकरण द्वारा अनुमोदित नहीं की गई है. च . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : December 02, 2021, 13:03 IST
Cryptocurrency News Today: भारत में इन दिनों क्रिप्टोकरेंसी को लेकर खूब घमासान मचा हुआ है. दुनिया में सबसे ज्यादा भारत में क्रिप्टो का कारोबार होने के बाद इस डिजिटल करेंसी (Digital Currency) को लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है. सरकार इसे असुरक्षित मानते हुए इसके नियमन को लेकर संसद में बिल लाने की तैयारी कर रही है. लेकिन क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) के बढ़ते चलन को देखते हुए सरकार खुद अपनी डिजिटल करेंसी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) लाने की कवायद में जुटी हुई है.
आखिर क्यों है क्रिप्टो पर इतना विवाद और क्या है सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC), इन मुद्दों पर विस्तार से बात कर रही हैं फाइनेंशियल एडवाइजर ममता गोदियाल. ममता गोदियाल (Mamta Godiyal) का बैंकिंग सेक्टर में लंबा अनुभव रहा है. अब वह कागजी मुद्रा और बिटकॉइन के बीच अंतर निजी तौर पर पर्सनल फाइनेंस को लेकर लोगों को खासकर कागजी मुद्रा और बिटकॉइन के बीच अंतर महिलाओं को जागरुक कर रही हैं. क्रिप्टोकरेंसी को लेकर उनसे लंबी चर्चा हुई. बातचीत में उन्होंने क्रिप्टोकरेंसी और भारत सरकार की सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी के बारे में कई पहलुओं पर रोशनी डाली.
क्रिप्टोकरेंसी पर पाबंदी को लेकर क्यों चिंतित हैं निवेशक
- मुंबई,
- 26 फरवरी 2021,
- (अपडेटेड 26 फरवरी 2021, 9:54 PM IST)
- क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल मुद्रा है जिसका इस्तेमाल सामान और सेवा खरीदने में किया जा सकता है
- इसका हिसाब-किताब मजबूत क्रिप्टोग्राफी से सुरक्षित ऑनलाइन सौदे के रूप में रहता है
- हालांकि ज्यादातर देश ऐसी डिजिटल मुद्राओं को वैध नहीं मानते हैं
क्रिप्टोकरेंसी के निवेशकों में घबराहट फैली हुई है और निवेश को लेकर है उनमें चर्चा है कि केंद्र सरकार इसके ट्रेड पर पाबंदी के लिए संसद में एक विधेयक लेकर आ रही है. क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग में कीमतों के उतार-चढ़ाव की अटकलें सीएफडी (कांट्रैक्ट फॉर कागजी मुद्रा और बिटकॉइन के बीच अंतर डिफरेंस) ट्रेडिंग अकाउंट के माध्यम से एक्सचेंज में लगाई जाती हैं तथा इसी से खरीद-बिक्री होती है. सीएफडी दो पक्षों के बीच एक तरह का कांट्रैक्ट होता है जिसमें खरीदार बेचने वाले को कांट्रैक्ट के समय की कीमत और मौजूदा कीमत के बीच के अंतर वाली रकम का भुगतान करता है. खबरें ये भी हैं कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) की देखरेख में भारत अपनी डिजिटल करेंसी लाने जा रहा है. लेकिन इसमें अभी लंबा समय लगेगा.
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