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India-China Trade: चीन पर निर्भरता कम करना चाहते पीएम मोदी, पर एक साल में 34 फीसदी बढ़ा दोनों देशों के बीच कारोबार
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पीएम मोदी (File photo)
India-China Border Dispute: चीन के साथ अक्सर सीमा विवाद (India Border Dispute) के बीच एक बार फिर से कारोबार के मामले में चीन पर निर्भरता आप सप्ताहांत पर व्यापार क्यों करते हैं? कम करने की बहस छिड़ी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) भी कई मौकों पर आत्मनिर्भरता को बढ़ाना देने की बात कहते आए हैं। लेकिन पिछले सप्ताह संसद में जारी वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार मार्च 2022 तक 12 महीनों में भारत और चीन के बीच कुल कोराबार 34 फीसदी बढ़कर 115.83 बिलियन डॉलर हो गया।
India China Trade-इस साल अप्रैल से अक्टूबर के बीच 69.04 अरब डॉलर का व्यापार:
गौरतलब है कि पीएम मोदी सस्ते आयात के लिए अपने पड़ोसी देशों पर निर्भर होने की जगह एक संपन्न घरेलू उद्योग को बढ़ावा देने की बात कई मंचों पर कह चुके हैं। हालांकि इस अभियान को चीन के साथ कोरोबार में बढ़ोतरी होने से झटका जरूर लग सकता है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार इस साल अब तक दोनों देशों के बीच अप्रैल से अक्टूबर के बीच 69.04 अरब डॉलर का व्यापार हुआ है।
मौजूदा वित्त वर्ष के पहले 7 महीनों यानी अप्रैल से अक्टूबर 2022 के समय चीन के साथ कारोबार में भारत को होने वाला व्यापार घाटा (Trade Deficit) 51.50 अरब डॉलर रहा। हालांकि इसके मुकाबले मार्च 2022 में खत्म पूरे वित्त वर्ष के दौरान चीन से कारोबार में भारत का व्यापार घाटा 73.31 अरब डॉलर रहा था।
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विनिमय बाजार क्या है - विदेशी विनिमय बाजार के कार्य
विदेशी विनिमय बाजार एक विकेन्द्रीकृत वैश्विक बाजार है जहां सभी दुनिया की मुद्राओं का कारोबार होता है एक दूसरे, और व्यापारी मुद्राओं के मूल्य परिवर्तन से लाभ या हानि बनाते हैं। विदेशी मुद्रा बाजार को विदेशी मुद्रा बाजार, FX या मुद्रा ट्रेडिंग मार्केट के रूप में भी जाना जाता है।
यह खंड अन्य वित्तीय बाजारों पर विदेशी मुद्रा बाजार के मुख्य लाभ बताता है। यहां आप यह पता लगा सकते हैं कि क्यों विदेशी मुद्रा बाजार व्यापारियों के लिए इतना आकर्षक है और विदेशी मुद्रा बाजार के सभी फायदों को सीखता है।
प्रमुख मुद्रा जोड़े
सबसे सक्रिय रूप से कारोबार मुद्रा जोड़े के समूह मेजर के रूप में माना जाता है. वे इसलिए, वे अत्यधिक तरल कर रहे हैं, विदेशी मुद्रा बाजार का सबसे बड़ा हिस्सा शामिल है, और. प्रमुख मुद्रा जोड़े बाजार में उपलब्ध सबसे लोकप्रिय मुद्रा जोड़े, शामिल हैं. समूह का प्रमुख हिस्सा आप एक ही बार मंख दो आप सप्ताहांत पर व्यापार क्यों करते हैं? ऐसे अमेरिकी डॉलर (USD), यूरो (EUR), जापानी येन (JPY), भारतीय रुपया (INR), स्विस फ्रैंक (CHF) के रूप में सबसे अधिक तरल मुद्राओं की कहां मिल सकती जोड़े शामिल , कैनेडियन डॉलर (सीएडी), आप सप्ताहांत पर व्यापार क्यों करते हैं? ऑस्ट्रेलियन डॉलर (AUD) और न्यूजीलैंड डॉलर (NZD).
माइनर मुद्रा जोड़े के समूह प्रमुख मुद्रा . की तुलना में अपेक्षाकृत कम लोकप्रिय साधन भी शामिल है. अमेरिकी डॉलर और यूरो: यह बल्कि स्थानीय प्राथमिक तरलता दुनिया की प्रमुख आरक्षित मुद्राओं द्वारा प्रदान की सब से पहले जो मूल्य की मुद्राओं से बना है.
एक्सोटिक करेंसी पेयर्स
ट्रेडिंग वॉल्यूम और उच्च फैलता अपेक्षाकृत कम की विशेषता है जो विदेशी मुद्रा जोड़े के समूह मुद्रा बाजार में उपलब्ध कम से कम लोकप्रिय साधन भी शामिल है. अमेरिकी डॉलर और यूरो: वे लगभग पूरी तरह से मुख्य रिजर्व मुद्राओं द्वारा प्रदान की जाती है, जो तरलता मुद्राओं से मिलकर..
विदेशी विनिमय बाजार में निवेशकों मुद्रा दर में उतार-चढ़ाव पर लाभ है। मजबूत दर (उद्धरण) बड़ा अपने लाभ को बदलता है या नुकसान है .
बुक्स ओन टेक्निकल इंडीकेटर्स
व्यापार के क्षेत्र में सफलता तक पहुँचने के लिए विधेयक विलियम्स के मुताबिक, एक व्यापारी बाजार का सही और पूरे ढांचे को पता होना चाहिए. यह पांच आयामों में बाजार का विश्लेषण करने और खाते कुछ विदेशी मुद्रा इंडीकेटर्स में लेने के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है.
मुद्रा बाजार में व्यापार के विभिन्न बाजारों के साथ तुलना में, न्यू यॉर्क स्टॉक एक्सचेंज से 100 गुना बड़ा है, और यह भी रूप में बांड बाजार और शेयरों के रूप में 3 बार बड़े बाजार संयुक्त। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बाजार वाणिज्यिक कंपनियों, सेंट्रल बैंकों, बचाव धन, बैंकों, निवेशकों और खुदरा विदेशी मुद्रा दलालों के मिलकर बनता है। यह बाजार है जहां दुनिया भर से प्रतिभागियों की विभिन्न मुद्राओं पर अटकलें का अवसर है, है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बाजार बेहद कुशल, हो के रूप में वे कर रहे हैं बहुत बड़े और तरल करने के लिए माना जाता है। मुद्रा बाजार, आभासी है, जिसका मतलब है कि वहाँ कोई केंद्रीय भौतिक आप सप्ताहांत पर व्यापार क्यों करते हैं? स्थान कि विदेशी मुद्रा बाजार माना जाता है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा लेनदेन हो बैंकों और दुनिया भर में दलालों की एक वैश्विक कंप्यूटर नेटवर्क में.
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सुविख्यात अमेरिकी बिजनेस मैग्नेट, औद्योगिक डिजाइनर, निवेशक एवं मीडिया प्रोपराइटर स्टीवन पॉल जॉब्स (Steve Jobs) का कहना है कि भूखे रहो, मूर्ख रहो लेकिन हर महत्वाकांक्षी, संघर्षरत एवं सफल व्यवसायी को सतत सीखते रहना बहुत जरूरी है. अकसर देखा जाता है कि एक बार जब कोई व्यवसायी सफलता हासिल कर लेता है अथवा अपने मुख्य लक्ष्य को हासिल कर चुका होता है तो उसे और ज्ञान या अन्वेषण की जरूरत महसूस नहीं होती है. आप किसी भी नामचीन करोड़पति या अरबपति व्यवसायी से भी पूछ कर देखें, वे हमेशा यही कहेंगे कि सदा सीखते रहो. अगर आप व्यवसाय की दुनिया के रॉक स्टार बनना चाहते हैं तो आपको नियमित रूप से अपडेट रहना होगा. क्योंकि ऐसे तमाम उद्योग कोर्सेस हैं, जो आपके नेतृत्व कौशल को बढ़ाने के लिए उपयुक्त हैं. एक बार मील के पत्थर तक पहुंच जाना ही काफी नहीं है. अभी तो शुरुआत है. आपको रुकना नहीं चाहिए, सीखने और बेहतर बनने की गुंजाइश अभी भी काफी है. Problem Solving Courses To Become A Successful Entrepreneur: बिज़नेस की हर बड़ी परेशानी से बचाकर आपको सफल व्यापारी बनाएंगे ये कोर्स
भारत-चीन का व्यापार घाटा 51.5 अरब डॉलर रहा, यह ‘घाटा’ अच्छा है
कितनी बार ऐसा होता है कि व्यापारिक गतिविधियों से संबंधित जारी किए जाने वाले आंकड़ों पर हम विशेष ध्यान नहीं देते हैं। हम जारी किए गए आंकड़ों से संबंधित ख़बर की हैडलाइन पढ़कर आगे निकल जाते हैं। लेकिन आपको यह समझना चाहिए कि जो हैडलाइन में लिखा है उतना ही सच नहीं है। कई बार सत्य उस हैडलाइन से बिल्कुल अलग होता है। हाल ही में चीन के साथ भारत के व्यापारिक घाटे को लेकर जो आंकड़े जारी किए गए हैं, उनको समझने की कोशिश करते हैं कि किस तरह से उन्हें पेश किया जा रहा है और उनके पीछे का वास्तविक सत्य क्या है?
पहले देख लेते हैं कि केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने राज्यसभा में चीन के साथ व्यापारिक घाटे को लेकर जो आंकड़े जारी किए हैं, उनको लेकर किस तरह की ख़बरें बनाई जा रही हैं।
आंकड़ों से समझिए सबकुछ
इस वित्तीय वर्ष यानी कि अप्रैल से अक्टूबर के बीच भारत और चीन के बीच व्यापार घाटे का अंतर 51.5 बिलियन डॉलर का रहा है। 9 दिसंबर को यह जानकारी भारत सरकार ने संसद में दी। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने जो आंकड़े संसद में प्रस्तुत किए हैं, उनके अनुसार 2020-21 में जहां व्यापार घाटा 44.03 बिलियन डॉलर था वहीं अब 2021-22 में व्यापार घाटा बढ़कर 73.31 बिलियन डॉलर हो गया है।
आंकड़ों के मुताबिक इस वित्तीय वर्ष यानी अप्रैल से लेकर अक्टूबर तक 60.27 बिलियन डॉलर का आयात चीन से हुआ है, वहीं निर्यात केवल 8.77 बिलियन डॉलर का हुआ है। पीयूष गोयल ने संसद में बताया कि भारत से चीन को 2014-15 में 11.93 बिलियन डॉलर का निर्यात किया था जोकि 2021-22 में बढ़कर 21.26 बिलियन डॉलर हो गया। पिछले 6 वर्ष में यह 78.2 फीसदी की बढ़ोतरी है। वहीं दूसरी तरफ चीन से 2014-15 में 60.14 बिलियन डॉलर का आयात हुआ था जोकि 2021-22 में बढ़कर 94.57 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया।
चीन से इसलिए आयात कर रहा भारत
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने इसके साथ ही बताया कि चीन से जो वस्तुएं आयातित की गईं उनमें ज्यादातर पूंजीगत माल (Capital Goods), आंशिक तौर पर तैयार माल (Intermediate Goods) और कच्चा सामान है। उन्होंने बताया इस सामान को आयात किया गया जिससे कि इलेक्ट्रॉनिक्स, टेलीकॉम और विद्युत जैसे भारत में तेजी से बढ़ रहे सेक्टर्स की पूर्ति की जा सके।
इसके साथ ही वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने बताया कि चीन से आयात इसलिए किया जा रहा है जिससे कि भारत में वस्तुओं का निर्माण किया जा सके और उन्हें निर्यात किया जा सके।
इसका अर्थ यह है कि चीन से जो आयात किया भी जा रहा है वो भी इसलिए किया जा रहा है जिससे कि यहां उत्पाद का निर्माण करके उसका दूसरे देशों में निर्यात किया जा सके। ऐसे में यह कहना कि पहले की तरह ही चीन से आयात हो रहा है पूरी तरह से ग़लत होगा। हां यह अवश्य कह सकते हैं कि चीन के साथ जो व्यापार घाटा बढ़ रहा है वो अच्छा है क्योंकि वहां से कच्चा माल खरीदकर हम उत्पाद का अपने देश में निर्माण कर रहे हैं और उसे फिर दूसरे देशों में बेच रहे हैं।
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