मध्यस्थता कानूनी है?
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आर्बिट्रेज को समझना
आर्बिट्रेज एक अनूठी अवधारणा है। यह व्यापारियों को विभिन्न बाजारों में अंतर्निहित के लिए मूल्य विसंगतियों का फायदा उठाने की अनुमति देता है। इसे अन्य व्यापारिक उपकरणों की तुलना में अपेक्षाकृत कम जोखिम वाली रणनीति माना जाता है , यही कारण है कि यह आम है। लेकिन , मध्यस्थता व्यापार कानूनी है ? कुछ देशों में , मध्यस्थता न केवल अनुमति दी जाती है बल्कि उन्हें भी प्रोत्साहित किया जाता है। यह एक रोमांचक अवधारणा है , जिसे हम इस लेख में चर्चा करने जा रहे हैं और यह समझाते हैं कि कैसे मध्यस्थता आपके पोर्टफोलियो में विविधता लाने के लिए एक व्यापारिक रणनीति हो सकती है।
आर्बिट्रेज क्या है?
आर्बिट्रेज एक निवेश तकनीक है जो व्यापारियों द्वारा विभिन्न बाजारों में एक परिसंपत्ति के मूल्य अंतर से लाभ कमाने के लिए उपयोग की जाती है। यह विभिन्न एक्सचेंजों में समान सुरक्षा खरीदने और बेचने का कार्य है या सुरक्षा और उसके भविष्य के अनुबंधों के स्थान की कीमतों के बीच मूल्य अंतर से लाभान्वित है। आर्बिट्रेज बाजार दक्षता में योगदान देता है इसके अलावा , मध्यस्थता बाजार में तरलता में सुधार करने में मदद करते हैं।
बाजार दक्षता एक शब्द है जो बाजार की योग्यता का वर्णन करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है , जो सुरक्षा मूल्य के बारे में सभी प्रासंगिक जानकारी की उपलब्धता की डिग्री है। यदि बाजार एक कुशल स्तर पर काम कर रहा है , तो सभी मूल्य जानकारी पहले से ही सुरक्षा मूल्य में कब्जा कर लिया गया है , और कोई ओवरसॉल या ओवरबॉट प्रतिभूतियां उपलब्ध नहीं हैं।
आर्बिट्रेज बाजार दक्षता में योगदान। कैसे?
Arbitrageurs विभिन्न बाजारों में मूल्य अंतर का लाभ लेने का प्रयास। अब यदि बाजार कुशल है , तो आदर्श रूप से विभिन्न बाजारों के बीच कोई मूल्य अंतर नहीं होना चाहिए। लेकिन आर्बिट्रेगर्स को मिसप्रिसिंग से लाभ मिलता है , एक कीमत के कानून का स्पष्ट उल्लंघन होता है। इसलिए , जब मध्यस्थता ऐसा करते हैं , तो वे अंततः मूल्य विसंगति को सामने लाते हैं और अन्य व्यापारियों को इससे लाभ उठाने की अनुमति देते हैं , नई कीमत के लिए बाजार को समायोजित करते हैं।
आइए अवधारणा में गहराई से खुदाई करें।
आर्बिट्रेजिंग किसी भी परिसंपत्ति के लिए बाजार में हो सकता है – स्टॉक , वस्तु , या विदेशी मुद्रा। मध्यस्थता में शामिल होने से , मध्यस्थता भी बाजार में तरलता को प्रभावित कर रहे हैं। उदाहरण के लिए कहें – एक आर्बिट्रेजर एक कंपनी के शेयरों को बाजार ए में कम कीमत पर खरीद रहा है और इसे बाजार बी में उच्च कीमत पर बेच रहा है। ऐसा करने में , वे बाजार मध्यस्थों के रूप में कार्य करते हैं और बाजार में तरलता जोड़ते हैं।
ज्यादातर मामलों में , मध्यस्थता जोखिम मुक्त या जोखिम में कम माना जाता है , लेकिन यह पूरी तरह से सच नहीं है। आर्बिट्रेजिंग में मध्यस्थता अवसर खोने की संभावना शामिल भारत में क्रिप्टोक्यूरेंसी कानूनी है है , जो आपके जोखिम के जोखिम को बढ़ाते हैं। जैसे , आपने एक मध्यस्थता अवसर की पहचान की है , लेकिन जब तक आप मौका पर प्रतिक्रिया करते हैं , तो यह गायब हो सकता है।
आम खिलाड़ी कौन हैं?
कोई भी मध्यस्थता , यहां तक कि खुदरा व्यापारियों में भाग ले सकता है। हालांकि , संस्थागत खिलाड़ी और म्यूचुअल फंड एसेट मैनेजमेंट कंपनियां बाजार पर हावी हैं। उनके पास सॉफ्टवेयर है जो उन्हें मध्यस्थता के अवसरों की पहचान करने और लेनदेन को तेजी से करने में मदद करता है , जबकि एक खुदरा निवेशक संभावना को भुनाने के लिए संघर्ष कर सकता है।
खुदरा निवेशकों के लिए जो मध्यस्थता का लाभ उठाना चाहते हैं लेकिन विशेषज्ञता की कमी है , म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं जो धनराशि मध्यस्थता कर सकते हैं।
भारतीय बाजार में भी कानूनी आर्बिट्रेजिंग है?
इंटर – एक्सचेंज आर्बिट्रेजिंग नामक एक अवधारणा है। भारत में , सुरक्षा मूल्य भिन्न होते हैं , यद्यपि स्टॉक एक्सचेंजों के बीच एक छोटे मार्जिन से , व्यापारियों के लिए मध्यस्थता अवसर पैदा करते हैं। हालांकि , वर्तमान बाजार नीतियाँ इंट्राडे ट्रेडिंग के दौरान मध्यस्थता में लिप्त व्यापारियों से पट्टी। यही कारण है कि मध्यस्थता एक इंट्राडे ट्रेडिंग रणनीति नहीं है कि कहने के लिए है। आपको दिन के अंत से पहले अपनी स्थिति को उलट देना होगा और उसी एक्सचेंज में स्क्वायर ऑफ करना होगा। लेकिन अगर आप प्रतिभूतियों की डिलीवरी ले रहे हैं , तो आप अपने लिए मध्यस्थता अवसर खोल सकते हैं। इसके अलावा , यह आपको जोखिम मुक्त व्यापार में मदद करता है। आप एक एक्सचेंज में स्टॉक डिलीवरी ले सकते हैं और दूसरे एक्सचेंज में वितरित कर सकते हैं।
व्यापारी कई मध्यस्थता रणनीतियों का उपयोग करते हैं। ऐसी ही एक नीति नकदी वायदा मध्यस्थता है।
मान लीजिए कि आपने कंपनी XYZ के शेयरों को बाजार से 190 रुपये में खरीदा है और वायदा बाजार में 215 रुपये में एक ही शेयरों के लिए एक वायदा अनुबंध बेचा है। इस प्रकार , एक जोखिम मुक्त मध्यस्थता अवसर पैदा करना।
कुंजी अधिग्रहण
— विभिन्न बाजारों में एक ही परिसंपत्ति के मूल्य अंतर से आर्बिट्रेजिंग उत्पन्न होती है
— यह इंट्राडे ट्रेडिंग रणनीति नहीं है , और इंट्राडे के लिए भारत में अंतर – विनिमय मध्यस्थता कानूनी नहीं है
— हालांकि , यदि आप सुरक्षा वितरण ले रहे हैं या नकदी भविष्य मध्यस्थता में भाग ले रहे हैं तो आप दो एक्सचेंजों के बीच मध्यस्थता कर सकते हैं
— एक मध्यस्थता अवसर के रूप में सुरक्षा के अंतिम व्यापारिक मूल्य को भ्रमित न करें
सारांशित करने के लिए , मध्यस्थता एक निवेश रणनीति है जो व्यापारियों को विभिन्न बाजारों में परिसंपत्ति मूल्य अंतर से प्राप्त करने की अनुमति देती है। लेकिन यह एक इंट्राडे ट्रेडिंग रणनीति नहीं है। व्यापारी मध्यस्थता व्यापार तकनीक की अधिकता का उपयोग करते हैं , लेकिन जैसा कि अधिक व्यापारियों मूल्य अंतर पर कब्जा करने की कोशिश करते हैं , यह गायब हो जाता है। और सवाल का जवाब देने के लिए – क्या भारत में मध्यस्थता व्यापार कानूनी है ? हाँ , यह है , आप स्टॉक डिलीवरी ले रहे हैं , तो।
कई बाजारों में आर्बिट्रेजिंग को प्रोत्साहित किया जाता है क्योंकि यह ओ लाता है
अमेरिका से दुश्मनी मोल लेकर बिटकॉइन को क्यों गले लगा रहा EL Salvador
अल साल्वाडोर (El salvador) गुरुवार 7 सितंबर को बिटकॉइन (Bitcoin) को कानूनी रूप से करेंसी की मान्यता देने वाला दुनिया का पहला देश बन गया. इस फैसले को रोलआउट करने के लिये अल साल्वाडोर ने 400 बिटकॉइन खरीदे. इसकी कीमत उस समय के ट्रेडिंग प्राइस के हिसाब से करीब 21 मिलियन डॉलर थी. राष्ट्रपति नयब बुकेले (Nayib Bukele) ने ट्वीट करके बताया कि आगे और बिटकॉइन की खरीदारी की जाएगी.
इससे पहले 8 जून 2021 को अल सल्वाडोर की विधानसभा ने बिटकॉइन कानून पारित किया था, जिसमे क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन को 7 सितंबर 2021 से अल सल्वाडोर की लीगल टेंडर (Legal Tender) के रूप में स्वीकारने की बात कही गई थी.
करेंसी के लीगल टेंडर होने का क्या है मतलब?
सरकार द्वारा किसी भी करेंसी को लीगल टेंडर के रूप में स्वीकारने का मतलब उस देश के भीतर कानूनी रूप से उस करेंसी को मान्यता देना होता है. यानी आप उस करेंसी का इस्तेमाल करके अपनी रोजमर्रा की जरूरत से जुड़े सामान खरीद सकेंगे. चूंकि अब अल साल्वाडोर ने बिटकॉइन को लीगल टेंडर के रूप में अपना लिया है, वहां के लोग बिटकॉइन का करेंसी के तौर पर इस्तेमाल कर सकेंगे.
आपको बता दें कि Al Salvador की अभी अपनी कोई करेंसी नहीं है. वहां के लोग अमेरिकी डॉलर में ही लेन-देन का काम करते हैं.
बुकेले के एडमिनिस्ट्रेशन ने देशभर में 200 बिटकॉइन एटीएम स्थापित किए हैं जिसका इस्तेमाल करके लोग यूएस डॉलर के बदले में बिटकॉइन ले सकेंगे.
RBI ला रहा भारत की पहली डिजिटल करेंसी, बिटकॉइन जैसी क्रिप्टो से ये कैसे अलग?
सरकार ने बिटकॉइन को अपनाने के पीछे क्या कारण बताया?
अल साल्वाडोर सेंट्रल अमेरिका का छोटा सा देश है. देश की लगभग 25% जनसंख्या अमेरिका में अपना गुजर बसर करती है. अमेरिका या विदेश में रह रहे लोग जब देश में पैसा (जिसे remittance कहा जाता है) भेजते हैं तो बीच में उस पर कई तरह के शुल्क लगते हैं. 2020 में विदेश में रह रहे लोगों ने करीब 6 अरब डॉलर स्वदेश भेजा था जो कि वहां की जीडीपी (GDP) का करीब 20 फीसदी है. सरकार ने बताया कि, बिटकॉइन की वजह से हम हर साल remittance में लगने वाली करीब 400 मिलियन डॉलर लगने वाली फीस बचा सकेंगे.
सरकार ने बताया कि देश में करीब 70% लोग के पास अपना बैंक खाता नहीं है. इस फैसले के बाद आम लोग भी फाइनेंशियल सिस्टम से जुड़ेंगे.
इस फैसले के विपरीत हाल के जनमत सर्वेक्षणों से पता चला है कि अल सल्वाडोर के करीब 70% लोगों ने बिटकॉइन को लीगल टेंडर देने वाले विचार को अस्वीकार किया और वो अमेरिकी डॉलर का उपयोग करना पसंद करेंगे.
Top 5 Crypto: दुनिया की इन टॉप 5 क्रिप्टोकरंसी का मुनाफा देखकर उड़ जाएंगे होश, 520000 % भारत में क्रिप्टोक्यूरेंसी कानूनी है भारत में क्रिप्टोक्यूरेंसी कानूनी है तक चढ़ी कीमतें
अब सवाल उठता है कि इतनी कानूनी अड़चनों के बाद भी लोग बिटकॉइन या अन्य क्रिप्टोकरेंसी में पैसा क्यों झोंक रहे हैं?
Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: January 06, 2022 17:25 IST
Top 5 Crypto: दुनिया की इन टॉप 5 क्रिप्टोकरंसी का मुनाफा देखकर उड़ जाएंगे होश, 5 लाख प्रतिशत तक चढ़ी कीमतें
Highlights
- भारत में फिलहाल दुनिया के सबसे ज्यादा 10 करोड़ से ज्यादा क्रिप्टो निवेशक है।
- बिटकॉइन और एथेरियम से लेकर डॉगकोइन तक, हजारों अलग-अलग क्रिप्टोकरेंसी हैं
- बिनांस जैसी क्रिप्टो करेंसी ने 5.2 लाख प्रतिशत का रिटर्न दिया है
भारत में क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य फिलहाल अधर में है। आरबीआई क्रिप्टो के खिलाफ है और सरकार इसे बैन करने की धमकी कई बार दे चुकी है। संसद के शीत सत्र में क्रिप्टो पर कानून लाने की बात भी हुई, लेकिन यह फिलहाल टल गया। इस उहापोह की स्थिति के बाद भी देश में क्रिप्टो करेंसी में निवेश लगातार बढ़ रहा है। भारत में फिलहाल दुनिया के सबसे ज्यादा क्रिप्टो निवेशक है। इनकी संख्या 10 करोड़ से ज्यादा है। क्रिप्टो निवेशकों की औसतन उम्र 24 साल है। यह देश की करीब 7 प्रतिशत जनसंख्या के बराबर है। इन 10 करोड़ निवेशकों ने 7 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश किया है।
अब सवाल उठता है कि इतनी कानूनी अड़चनों के बाद भी लोग बिटकॉइन या अन्य क्रिप्टोकरेंसी में पैसा क्यों झोंक रहे हैं, तो इसका एक लाइन का सीधा जवाब है, क्रिप्टोकरेंसी पर मिलने वाला मुनाफा। जहां शेयर और म्युचुअल फंड जैसे जोखिम वाले निवेश निवेशकों को भारत में क्रिप्टोक्यूरेंसी कानूनी है 20 से 30 प्रतिशत का रिटर्न देते हैं, वहीं बिनांस जैसी क्रिप्टो करेंसी ने 5.2 लाख प्रतिशत का रिटर्न दिया है। यह आंकड़ा इतना बड़ा है कि आप कैल्कुलेटर पर इसकी गणना भी नहीं कर सकते। दुनिया में बिटकॉइन और एथेरियम से लेकर डॉगकोइन और टीथर तक, हजारों अलग-अलग क्रिप्टोकरेंसी हैं। आज हम इन क्रिप्टोकरेंसी की मार्केट कैप के आधार पर टॉप 5 किप्टो करेंसी के बारे में बता रहे हैं:
बिटकॉइन (BTC)
मार्केट कैप: $882 बिलियन से अधिक
बिटकॉइन क्रिप्टो की दुनिया की पहली डिजिटल करेंसी है। इसकी शुरुआत 2009 में हुई थी। दरअसल बिटकॉइन (BTC) ही मूल क्रिप्टोकरेंसी है। दूसरी क्रिप्टोकरेंसी की तरह ही, बीटीसी एक ब्लॉकचेन पर चलता है, दूसरे शब्दों में कहें तो हजारों कंप्यूटरों के नेटवर्क में वितरित एक लेज़र लॉगिंग लेनदेन पर बिटकॉइन काम करता है। इसकी कीमतें बीते 5 साल में आसमान छू चुकी हैं। मई 2016 में, आप लगभग 500 डॉलर में एक बिटकॉइन खरीद सकते थे। 3 जनवरी, 2022 तक, एक बिटकॉइन की कीमत $46,000 से अधिक पहुंच गई थीं। ग्रोथ की बात करें तो बीते 6 साल में यह करीब 9,200% की ग्रोथ दे चुका है।
एथेरियम (ETH)भारत में क्रिप्टोक्यूरेंसी कानूनी है
मार्केट कैप: $447 बिलियन से अधिक
बिटकॉइन के बाद क्रिप्टो कारोबार में एथेरियम सबसे चर्चित नाम है। क्रिप्टोक्यूरेंसी और ब्लॉकचैन प्लेटफॉर्म दोनों पर एथेरियम प्रोग्राम डेवलपर्स का पसंदीदा बना हुआ है। इथेरियम भारत में क्रिप्टोक्यूरेंसी कानूनी है ने भी जबरदस्त ग्रोथ देखी है। अप्रैल 2016 से जनवरी 2022 तक, इसकी कीमत लगभग 11 डॉलर से बढ़कर 3,700 डॉलर से अधिक हो गई। ग्रोथ के पैमाने पर देखें तो यह 33,500% चढ़ चुका है।
बिनेंस कॉइन(बीएनबी)
मार्केट कैप: $86 बिलियन से अधिक
बिनेंस कॉइन, क्रिप्टोकरेंसी का एक रूप है जिसका उपयोग आप Binance पर व्यापार करने और शुल्क का भुगतान करने के लिए कर सकते हैं। यह दुनिया के सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंजों में से एक है। 2017 में इसे लॉन्च किया गया था। अब, इसका उपयोग व्यापार, पेमेंट प्रोसेसिंग या यहां तक कि यात्रा बुकिंग के लिए भी किया जा सकता है। 2017 में इसकी कीमत सिर्फ $0.10 थी; वहीं 3 जनवरी, 2022 तक, यह लगभग 520,000% की ग्रोथ के साथ 520 डॉलर का हो गया है।
कार्डानो (ADA)
मार्केट कैप: $44 बिलियन से अधिक
कार्डानो क्रिप्टो करेंसी ने भी बीते कुछ वर्षों में खूब सुर्खियां बटोरी हैं। अन्य प्रमुख क्रिप्टो कॉइन की तुलना भारत में क्रिप्टोक्यूरेंसी कानूनी है में कार्डानो के एडीए टोकन में अपेक्षाकृत मामूली वृद्धि हुई है। 2017 में, ADA की कीमत $0.02 थी। वहीं 3 जनवरी 2022 तक इसकी कीमत $1.34 थी। इस तरह अपनी शुरुआत के बाद से यह 6,600% की ग्रोथ दे चुका है।
एक्सआरपी (XRP)
मार्केट कैप: $39 बिलियन से अधिक
इसे डिजिटल टेक्नोलॉजी और पेमेंट प्रोसेसिंग कंपनी, रिपल जैसे फाउंडर्स ने तैयार किया था। 2017 की शुरुआत में, XRP की कीमत $0.006 थी। 3 जनवरी, 2022 तक, इसकी कीमत $0.83 तक पहुंच गई। इस प्रकार यह क्रिप्टो 5 साल में 13,700% से अधिक की ग्रोथ दे चुका है।
Bitcoin को भारत में मुद्रा के तौर पर पहचान देने का नहीं है कोई प्रस्ताव- FM सीतारमण ने किया साफ
इसी बीच, बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह क्रिप्टोकरेंसी पर विधेयक पेश करने और इस मुद्दे पर आगे की कार्रवाई के बारे में 17 जनवरी, 2022 को उसे अवगत कराए। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एम एस कार्णिक की खंडपीठ ने कहा कि वह संसदीय विधायिका को कानून बनाने का निर्देश नहीं दे सकती।
नई दिल्ली में पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण। (एक्सप्रेस आर्काइव फोटोः अनिल शर्मा)
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि बिटक्वॉइन (Bitcoin) को भारत में मुद्रा के तौर पर पहचान देने का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है। यह बात उन्होंने सोमवार (29 नवंबर, 2021) को लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कही। उनके मुताबिक, सरकार के पास देश में बिटक्वॉइन को मुद्रा के रूप में मान्यता देने का कोई प्रस्ताव नहीं है। साथ ही सरकार बिटक्वॉइन लेन-देन पर डेटा एकत्र नहीं करती है।
यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार के पास देश में बिटक्वॉइन भारत में क्रिप्टोक्यूरेंसी कानूनी है को मुद्रा के रूप में मान्यता देने का कोई प्रस्ताव है? वित्त मंत्री ने जवाब दिया, “नहीं, सर”। सीतारमण की तरफ से यह बात ऐसे वक्त पर साफ की गई है, जब सरकार संसद के चल रहे शीतकालीन सत्र में आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विधेयक 2021 के क्रिप्टोकरेंसी और विनियमन को पेश करने की योजना बना रही है। विधेयक में अंतर्निहित प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने के लिए कुछ निजी क्रिप्टोकरेंसी को छोड़कर सभी पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास किया गया है, जबकि आरबीआई द्वारा आधिकारिक डिजिटल मुद्रा की अनुमति दी गई है।
सांसद थिरुमावलवन थोल ने वित्त मंत्रालय से पूछा कि क्या सरकार को भारत में कारोबार की जाने वाली क्रिप्टोकरेंसी के बारे में पता है और क्या भारत में क्रिप्टोकरेंसी में ट्रेडिंग की कानूनी रूप से अनुमति भारत में क्रिप्टोक्यूरेंसी कानूनी है है? उन्होंने यह भी पूछा कि क्या सरकार ने भारत में कानूनी रूप से अनुमत इकाई के रूप में क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों को अनुमति दी है?
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वित्त मंत्रालय में राज्य मंत्री (एमओएस) पंकज चौधरी ने जवाब दिया, “सरकार क्रिप्टोकरेंसी में व्यापार पर जानकारी एकत्र नहीं करती है। भारत में क्रिप्टोकरेंसी अनियंत्रित हैं। बता दें कि बिटक्वॉइन को साल 2008 में प्रोग्रामर के एक अज्ञात समूह द्वारा पेश किया गया था। डिजिटल मुद्रा किसी बैंक या सरकार से जुड़ी नहीं है और उपयोगकर्ताओं को गुमनाम रूप से पैसा खर्च करने की अनुमति देती है।
‘केंद्र क्रिप्टोकरेंसी पर भारत में क्रिप्टोक्यूरेंसी कानूनी है विधेयक पेश करने के बारे में बताए’: इसी बीच, बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह क्रिप्टोकरेंसी पर विधेयक पेश करने और इस मुद्दे पर आगे की कार्रवाई के बारे में 17 जनवरी, 2022 को उसे अवगत कराए। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एम एस कार्णिक की खंडपीठ ने कहा कि वह संसदीय विधायिका को कानून बनाने का निर्देश नहीं दे सकती।
अदालत अधिवक्ता आदित्य कदम की उस जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें केंद्र सरकार को देश के भीतर क्रिप्टोकरेंसी के इस्तेमाल और कारोबार को नियंत्रित करने के लिए कानून बनाने के निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। कदम ने देश में क्रिप्टोकरेंसी के अनियमित कारोबार पर प्रकाश डालते हुए दावा किया है कि यह निवेशकों के अधिकारों को प्रभावित करता है, क्योंकि उनकी शिकायतों के निवारण के लिए कानून में कोई तंत्र नहीं है।
भारत में क्रिप्टोक्यूरेंसी कानूनी है
इस समय भारत में आधिकारिक मुद्रा हो सकती है क्रिप्टोक्यूरेंसी
सरकारी क्रिप्टोकरेंसी सहित सभी आभासी मुद्राओं पर कानून से पहले, सरकार ने कहा है कि वर्तमान में भारत में बिटकॉइन को मुद्रा के रूप में मान्यता देने का कोई प्रस्ताव भारत में क्रिप्टोक्यूरेंसी कानूनी है नहीं है।
नई दिल्ली। पिछले हफ्ते, वित्त पर संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष और एक भाजपा सांसद जयंत सिन्हा ने क्रिप्टो एक्सचेंज, ब्लॉकचैन और क्रिप्टो एसेट काउंसिल और अन्य के प्रतिनिधियों से मुलाकात की और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि क्रिप्टोकुरेंसी पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाना चाहिए। इसके बजाय इसे विनियमित किया जाना चाहिए।विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा कोविद -12 के नए संस्करण को ओमाइक्रोन नाम दिया गया है। इसी नाम की क्रिप्टोक्यूरेंसी Omicron की कीमत में 200 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 3 नवंबर को इसकी कीमत Rs. 5 (૬૫ 4) जो 8 नवंबर को रु। 31.3 (2). इस तरह पिछले तीन दिनों में इसकी कीमत 3% बढ़ी है। Omicron क्रिप्टो की कीमत में बढ़ोतरी के पीछे मुख्य कारण यह है कि इसका नाम कोरोना वेरिएंट से जुड़ा है।
सरकारी क्रिप्टोकरेंसी सहित सभी आभासी मुद्राओं पर कानून से पहले, सरकार ने कहा है कि वर्तमान में भारत में बिटकॉइन को मुद्रा के रूप में मान्यता देने का कोई प्रस्ताव नहीं है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने कहा है कि भारत सरकार देश भर में क्रिप्टोकुरेंसी बिटकॉइन लेनदेन की संख्या और मात्रा पर डेटा एकत्र नहीं करती है। वित्त मंत्रालय ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि भारत सरकार बिटकॉइन लेनदेन पर डेटा एकत्र नहीं करती है। इसके अलावा देश में बिटकॉइन को कानूनी मुद्रा के रूप में मान्यता देने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
गौरतलब है कि मोदी सरकार ने बिटकॉइन समेत डिजिटल करेंसी पर कानून बनाने की दिशा में काम शुरू कर दिया है। सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में एक क्रिप्टोकुरेंसी बिल पेश कर सकती है जो निजी क्रिप्टोकुरेंसी पर प्रतिबंध लगाने और आरबीआई द्वारा जारी डिजिटल मुद्रा को विनियमित करने के लिए एक ढांचा तैयार करने की दिशा में पहला कदम होगा। लोकसभा बुलेटिन के अनुसार, क्रिप्टोक्यूरेंसी और अधिकृत डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक 2021 संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान निचले सदन में पेश किए जाने वाले बिलों की सूची में 'सूचीबद्ध' है। प्रस्तावित विधेयक भारत में सभी प्रकार की निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास करता है।
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