क्रिकेटरों की मैच फीस से कम है हॉकी खिलाड़ियों की इनाम राशि

हॉकी खिलाड़ियों ने हॉकी इंडिया की 25-25 ब्रोकरेज हाउस की फीस जरूर देखें हजार रुपए की पुरस्कार राशि को अपमानजनक बताते हुए इसे लेने से इनकार कर दिया था।

16 सितम्बर 2011
वार्ता

नई दिल्ली। भारतीय हाकी खिलाडियों को एशियन चैंपियंस ट्राफी जीतने पर 25-25 हजार रुपए देने की हॉकी इंडिया की अपमानजनक घोषणा को लेकर एक बार फिर भारतीय खेलों में क्रिकेटरों और अन्य खेलों के खिलाड़ियों के बीच मीलों लंबे फासले पर बहस शुरू हो गई है।

हॉकी खिलाड़ियों ने हॉकी इंडिया की 25-25 हजार रुपए की पुरस्कार राशि को अपमानजनक बताते हुए इसे लेने से इनकार कर दिया था। हालांकि इसके बाद केंद्रीय खेल मंत्री अजय माकन ने स्पष्टीकरण दिया कि सरकार की अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता जीतने वाले खिलाड़ियों के लिए पुरस्कार राशि देने की निर्धारित योजना हैं जिसके तहत इन खिलाड़ियों को डेढ़-डेढ़ लाख रुपए मिलेंगे।

पंजाब, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा और कर्नाटक सरकारों ने इन खिलाड़ियों को अपनी तरफ पुरस्कार राशि देने की घोषणा की है इसके बावजूद हॉकी खिलाड़ियों को जो पुरस्कार राशि मिलेगी वह क्रिकेटरों की मैच फीस से भी बहुत कम होगी।

भारतीय क्रिकेटरों को एक टेस्ट खेलने पर सात लाख, एकदिवसीय खेलने पर चार लाख और ट्वेंटी-20 अंतर्राष्ट्रीय मैच खेलने पर दो लाख रुपए मिलते हैं। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) अपने शीर्ष 30-40 खिलाड़ियों को अनुबंध के तीन वर्गों में रखता है।

ग्रेड- ए के खिलाड़ियों को एक करोड़, ग्रेड- बी के खिलाड़ियों को 60 लाख रुपए और ग्रेड- सी ब्रोकरेज हाउस की फीस जरूर देखें के खिलाड़ियों को 25 लाख रुपए दिए जाते हैं। यदि एक अनुमान लगाया जाए तो इंग्लैंड दौरे में बेहद निराशाजनक प्रदर्शन करने के बावजूद तीनों स्वरूप खेलने वाला खिलाड़ी कम से कम 50 लाख रुपए लेकर स्वदेश लौटेगा।

जिस खिलाड़ी ने चारों टेस्टों की श्रृंखला खेली उसके हाथ 28 लाख रुपए तो लगेंगे ही। एकदिवसीय श्रृंखला के पांचों मैच खेलने वाला खिलाड़ी 20 लाख रुपए अपनी झोली में डालेगा और एकमात्र ट्वेंटी-20 खेलने वाले खिलाडी को दो लाख रुपए तो हाथ लगेंगे ही।

यही आंकड़ा बताता है कि क्रिकेटरों और अन्य खिलाड़ियों के बीच कितना बड़ा फासला है। गत वर्ष फरवरी में हॉकी इंडिया की एक विशेष समिति ने एक प्रस्ताव पारित किया था जिसके तहत भुगतान की ग्रेड प्रणाली को मंजूरी दी गई थी।

हॉकी खिलाड़ियों को उस समय वायदा किया गया था कि उन्हें मैच फीस के तौर पर 35-35 हजार ब्रोकरेज हाउस की फीस जरूर देखें रुपए, एशियाई खेलों में जीत पर तीन-तीन लाख रुपए, एशिया कप में जीत पर दो-दो लाख रुपए और राष्ट्रमंडल खेलों में जीत पर एक-एक लाख रुपए दिए जाएंगे।

हॉकी इंडिया ने अभी जो घोषणा की वह सिर्फ प्रत्येक खिलाड़ी के लिए 25 हजार रुपए की थी। खेल मंत्री अजय माकन ने भी हॉकी खिलाड़ियों की नाराजगी को जायज ठहराते हुए कहा कि उन्होंने यह राशि ठुकराकर एकदम सही काम किया। हालांकि हॉकी इंडिया के महासचिव नरेंद्र बत्रा का कहना था कि उनकी इससे ज्यादा की हैसियत नहीं है।

केंद्र सरकार के डेढ़-डेढ़ लाख रुपए के अलावा पंजाब सरकार ने टीम को 25 लाख रुपए, मध्य प्रदेश ने खिलाड़ियों को एक-एक लाख रुपए, महाराष्ट्र सरकार ने टीम के अपने खिलाड़ी युवराज वाल्मीकि ब्रोकरेज हाउस की फीस जरूर देखें को 10 लाख रुपए और उड़ीसा सरकार ने अपने तीन खिलाड़ियों को डेढ़-डेढ़ लाख रुपए देने की घोषणा की है।

एशियन चैंपियंस ट्रॉफी जीतने वाली 17 सदस्यीय हॉकी टीम में एकमात्र वाल्मीकि ही ऐसे खिलाड़ी हैं जो इस उपलब्धि पर 10 लाख रुपए से अधिक कमाएंगे। बाकी खिलाड़ी अधिकतम पांच लाख रुपए के आस पास रहेंगे।

भारतीय क्रिकेट टीम ने इंग्लैंड दौरे में हर लिहाज से बेहद खराब प्रदर्शन किया है। वे टेस्ट श्रृंखला, एकमात्र ट्वेंटी-20 मैच और एकदिवसीय श्रृंखला सभी गंवा चुके हैं। इसके बावजूद क्रिकेटर जहां लाखों रुपए कमाकर वापस लौटेंगे वहीं हॉकी खिलाड़ी विजेता होने के बावजूद खुद को ब्रोकरेज हाउस की फीस जरूर देखें ठगा महसूस कर रहे हैं।

जिस ट्रेडिंग कंपनी के जरिए शेयर बाजार में पैसा लगा रहे, वही बंद हो गई तो क्‍या होगा? जानिए आपका पैसा डूबेगा या बचा रहेगा

शेयर बाजार में निवेश करने का चलन तेजी से बढ़ रहा है. यहां पर पारंपरिक निवेश की तुलना में ज्‍यादा रिटर्न मिलता है. हालांकि, शेयर बाजार में निवेश का जोखिम भी होता है.

जिस ट्रेडिंग कंपनी के जरिए शेयर बाजार में पैसा लगा रहे, वही बंद हो गई तो क्‍या होगा? जानिए आपका पैसा डूबेगा या बचा रहेगा

अब आम आदमी भी शेयर बाजार में निवेश कर ज्‍यादा रिटर्न पाने में रुचि दिखा रहा है. यही कारण है कि बीते एक साल में रिकॉर्ड संख्‍या में डीमैट अकाउंट खोले गए हैं. पिछले महीने तक के आंकड़ों के अनुसार देशभर में करीब 6.9 करोड़ डीमैट अकांउट्स हैं. हालांकि, दूसरे देशों के मुकाबले आबादी के लिहाज से यह अनुपात अभी भी बहुत कम है. भारतीय शेयर बाजार में सबसे ज्‍यादा पैसा महाराष्‍ट्र, गुजरात और उत्‍तर प्रदेश के लोग लगाते हैं. लक्षद्वीप, अंडमान एवं निकोबार से लेकर मिज़ोरम तक के लोग शेयर बाजार से अच्‍छी कमाई कर रहे हैं.

शेयर बाजार में निवेश करने के लिए सबसे पहली जरूरत डीमैट अकाउंट की होती है. इसी अकाउंट में शेयर्स, ईटीएफ, बॉन्‍ड्स, म्‍यूचुअल फंड्स और सिक्योरिटीज को इलेक्‍ट्रॉनिक फॉर्मेट में रखा जाता है. ये डीमैट अकाउंट डिपॉजिटरीज एनसडीएल और सीडीएसल के साथ खोला जा सकता है. देश में कई स्‍टॉक ब्रोकिंग कंपनियां हैं, जो लोगों को शेयर बाजार में निवेश करने में मदद करती हैं. स्‍टॉक ब्रोकिंग कंपनियां ही इस सुविधा को आम आदमी तक पहुंचाती हैं. इस सुविधा के बदले ये ब्रोकरेज फर्म्‍स छोटी फीस वसूलते हैं.

इस बात की भी संभावना है कि आप ये ब्रोकरेज फर्म्‍स ही किन्‍हीं कारणों से बंद हो जाए. ऐसी स्थिति में क्‍या आपका निवेश पूरी तरह से डूब जाएगा? कहीं स्‍टॉक ब्रोकिंग कंपनी आपका पूरा पैसा लेकर तो नहीं भाग जाएगी? एक निवेशक के तौर पर आपके मन में जरूर इस तरह के सवाल उठ रहे होंगे. लेकिन अब आपको इसकी चिंता नहीं करनी हैं. क्‍योंकि हम आपको इस तरह के सभी सवालों के जवाब लेकर आए हैं.

ब्रोकरेज कंपनी बंद होने पर आपके निवेश का क्‍या होगा?

आप यह जानकार राहत की सांस ले सकते हैं कि स्‍टॉक ब्रोकिंग कंपनी के डिफॉल्‍ट करने या बंद होने के बाद भी आपकी पूंजी या फंड पूरी तरह से सुरक्षित रहेगा. ऐसा नहीं होगा कि स्‍टॉक ब्रोकर आपकी पूंजी लेकर भाग जाए. उदाहरण के तौर पर देखें तो जब हर्षद मेहता स्‍कैम सामने आया था, तब उनकी ब्रोकिंग कंपनी ग्रो मोर रिसर्च एंड एसेट मैनेजमेंट को सेबी ने बैन कर दिया था. लेकिन इस कंपनी के जरिए शेयर बाजार में पैसा लगाने वाले लोगों को कोई नुकसान नहीं हुआ.

आपको सबसे पहले यह समझने की जरूरत कि ये स्‍टॉक ब्रोकिंग कंपनियां महज एक बिचौलिए के तौर पर काम करती हैं. आपके फंड पर इनकी पहुंच सीधे तौर पर नहीं होती है ताकि वे आपकी पूंजी पर अपना हम जमा सकें. लेकिन इनके पास पड़ी अपनी फंड या पूंजी को इस्‍तेमाल करने के लिए आप इन्‍हें निर्देश दे सकते हैं.

स्‍टॉक्‍स और शेयरों का क्‍या होगा?

आपका फंड डीमैट अकाउंट में जमा होता है. ये डीमैट अकाउंट डिपॉजिटरीज के पास खुलात है. सेबी ने दो डिपॉजिटरीज – नेशनल सिक्‍योरिटीज डिपॉजिटरीज लिमिटेड (NSDL) और ब्रोकरेज हाउस की फीस जरूर देखें सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज (इंडिया) लिमिटेड (CDSL) को मंजूरी दी है. भारत सरकार के वित्‍त मंत्रालय के प्रति सेबी की जवाबदेही होती है.

किसी भी समय पर एक निवेशक का स्‍टॉक या शेयर ब्रोकरेज फर्म्‍स के पास नहीं होता है. वे बस एक प्‍लेटफॉर्म के तौर पर काम करते हैं. इनका काम बस आपके निर्देश के हिसाब से आपकी जगह ट्रेड करना है. बदले में ये आपसे फीस वसूलते हैं.

इसी प्रकार आपका म्‍यूचुअल फंड इन्‍वेस्‍टमेंट एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) के पास होता है. ऐसे में अगर ब्रोकरेज फर्म बंद भी हो जाता है तो आपका म्‍यूचुअल फंड सुरक्षित रहेगा.

शेयर मार्केट में निवेश: डीमैट अकाउंट खोलते समय ट्रांजेक्शन और मेंटेनेंस चार्ज सहित इन 5 बातों का रखें ध्यान, इससे आपको मिलेगा ज्यादा फायदा

अगर आप शेयर मार्केट में निवेश का प्लान बना रहे हैं तो इसके लिए आपको डीमैट अकाउंट खोलना होगा। इसके बिना आप शेयर मार्केट में ट्रेडिंग नहीं कर सकते हैं। कहीं भी डीमैट अकाउंट खोलने से पहले इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जिस ब्रोकेज हाउस में आप डीमैट अकाउंट खोल रहे हैं वो आपको कौन-कौन सी सुविधाएं देता और आपसे इसके बदले में कितना चार्ज लेगा। हम आपको ऐसी 5 बातों के बारे में बता रहें हैं जिनका ध्यान आपको डीमैट अकाउंट खोलते समय रखना चाहिए।

ब्रोकरेज और ट्रांजेक्शन फीस
भारत में ब्रोकरों के बीच डीमैट अकाउंट खोलने और ब्रोकरेज चार्ज अलग-अलग हैं। जबकि उनमें से ज्यादातर आजकल मुफ्त डीमैट खाते खोल रहे हैं। वे इक्विटी खरीदने ब्रोकरेज हाउस की फीस जरूर देखें ब्रोकरेज हाउस की फीस जरूर देखें और बेचने पर आपसे लेनदेन (ट्रांजेक्शन) फीस ले सकते हैं। डीमैट अकाउंट की फीस के अलावा सालाना मेंटेनेंस चार्ज और ब्रोकरेज हाउस की फीस जरूर देखें ट्रांजेक्शन फीस की भी जांच करें, कि आपके डीमैट अकाउंट का सालाना खर्च कितना है। ट्रांजेक्शन फीस को लेकर ब्रोकरों के बीच बड़ा अंतर हो सकता है।

अन्य सुविधाओं के बारे में जानें
कुछ ब्रोकरेज हाउस सिर्फ इक्विटी ब्रोकिंग की सेवा ही नहीं प्रदान करतें, बल्कि कई प्रकार की अन्य सेवाएं भी आप तक पहुंचाते हैं। कई ब्रोकरेज फर्म आपको समय-समय ब्रोकरेज हाउस की फीस जरूर देखें ब्रोकरेज हाउस की फीस जरूर देखें पर रिसर्च उपलब्ध कराती रहती हैं जो आपको सही जगह निवेश करने में मदद कर सकता है। ऐसे में जान लें आपका ब्रोकरेज हाउस आपको क्या-क्या सुविधा देगा। यदि आप उन निवेशकों में से हैं जिनके पास ट्रेडिंग के लिए ज्यादा समय नहीं है तो आप ऐसे ब्रोकेज हाउस का चयन कर सकते हैं जिसका मार्केट ट्रैकिंग के लिए मोबाइल ऐप हो।

डीमैट और ट्रेडिंग खाते की सुविधा
इक्विटी और डेरिवेटिव में ट्रेडिंग में लगातार एक्टिविटी होती रहती है। क्योंकि एक सेकंड की देरी भी फायदा और नुकसान के बीच अंतर को ज्यादा या कम कर सकती है। आपके लिए यह सबसे अच्छा है यदि आपका ब्रोकर 2-इन-1 डीमैट और ट्रेडिंग खाता आपको देता हैं। जिससे आप दो अलग-अलग ब्रोकरों के होने पर लेनदेन में देरी से बच सकें। ट्रेडिंग खाते के बगैर डीमैट खाता अधूरा है।

डीमैट खाते में आप सिर्फ डिजिटल रूप में शेयरों को रख सकते हैं। जबकि ट्रेडिंग अकाउंट के साथ आप शेयर, आईपीओ, म्यूचुअल फंड और यहां तक गोल्ड में निवेश कर सकते हैं। इसके बाद आप इन्हें डीमैट खाते में रख सकते हैं।

पोर्टफोलियो की जानकारी भी जरूरी
कई ब्रोकरेज हाउस आपके पोर्टफोलियो की जानकारी आपको समय-समय पर देते रहते हैं। इससे आपको अपने निवेश से मिलने वाले रिटर्न की जानकारी रखने में मदद मिलेगी।

कनेक्टिविटी का रखें ध्यान
आप कारोबार के लिए फोन और इंटरनेट दोनों का ही इस्तेमाल कर सकते हैं। ब्रोकरेज हाउस का चयन करने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि वह दोनों में से कौनसी सुविधा मुहैया करवाता है। हालांकि अब ज्यादातर ब्रोकर्स दोनों ही सुविधाएं देते हैं।

घर खरीदने पर लगते हैं यह 11 प्रकार के चार्ज, आपके लिए जानना है जरूरी

you have to pay these types of charges while purchasing property

होम लोन लेकर घर खरीदने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। ऐसे में अगर आप भी मकान खरीदने की सोच रहे हैं और केवल यह अनुमान लगा रहे हैं कि केवल डाउन पेमेंट और स्टांप ड्यूटी पर पैसा अलग से खर्च करना होगा तो यह गलत है। हम आपको बता रहे हैं कि कितना पैसा आपको अलग से कुछ चार्ज और फीस के लिए चुकाना होगा।

10 से 20 फीसदी डाउन पेमेंट

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होम लोन लेने के लिए कोई भी बैंक या फिर एनबीएफसी कंपनी प्रॉपर्टी की वैल्यू का केवल 80 फीसदी तक लोन देती है। इसके बाद जो लागत बचती है उसका इंतजाम लोगों को खुद करना पड़ता है। इसे डाउन पेमेंट कहा जाता है। लोन देने के लिए बैंक और अन्य वित्तीय कंपनियां आपके क्रेडिट स्कोर को भी चेक करती हैं। अगर क्रेडिट स्कोर कम हुआ तो फिर लोन की राशि बैंक कम कर सकते हैं।

ब्रोकरेज की रकम

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किसी ब्रोकर की मदद से लिए गए घर पर आपको ब्रोकरेज की रकम का भुगतान करना पड़ता है। ब्रोकरेज की फीस प्रॉपर्टी की रकम का दो फीसदी भी हो सकता है। इसके अतिरिक्त इसपर जीएसटी भी लगता है। बता दें कि ब्रोकरेज की रकम महंगी प्रॉपर्टी के लिए कम और सस्ती और मध्यम कीमत वाली प्रॉपर्टी के लिए अधिक हो सकता है।

रजिस्ट्रेशन चार्ज और स्टांप ड्यूटी

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घर खरीदते समय आपको स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज भी देना पड़ता है। हालांकि इसकी रकम प्रॉपर्टी के स्थान, राज्य, सुविधाओं और उद्देश्य, प्रॉपर्टी की उम्र, मकान मालिक की उम्र और लिंग इत्यादि के आधार पर भिन्न हो सकती है। किसी भी दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने से पहले आपको रजिस्ट्रेशन चार्ज और स्टांप ड्यूटी के बारे में जान लेना चाहिए। इसके तहत आपको कितनी रकम का भुगतान करना होगा उसकी जानकारी नीचे दी गई है।

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